कविता

सारा आकाश हमारा है

यह हमारी सोच दर्शाता है
हमारे वैचारिक भाव उजागर करता है,
हमारे चिंतन का फलक कितना बड़ा है
यह दुनिया को बताया है,
तभी तो हम गर्व से कहते हैं
सारा आकाश हमारा है।
बड़ी सोच जब रखते हैं हम
अच्छा जब सोचते हैं हम
सर्वहितकारी भाव जब रखते हैं हम
तब ही तो कहते हैं हम
सारा आकाश हमारा है।
जब क्षुद्र मानसिकता रखेंगे हम
तीन तेरह सोचते हैं हम
स्वार्थी, लालची बनने की
कसम खाते रहते हैं हम
हर किसी को नीचा दिखाने की
जुगत में भिड़ाते रहेंगे हम
तब खुद सोचिए कि कैसे कहेंगे हम
कि सारा आकाश हमारा है।
दिल बड़ा करिए
सर्वहितकारी विचार पालिए
अंदर बाहर सम भाव रखिए,
न कोई छोटा,न बड़ा यहां है
सबसे सम व्यवहार कीजिए
फिर गर्व से मुस्कराते हुए
कह सकते हैं हम आप
सारा आकाश हमारा है।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921