कविता

मित्र और मित्रता दिवस

आइए! मित्रता दिवस मनाते हैं
मित्र और मित्रता दिवस की भी
महज औपचारिकता निभाते हैं।
हम आप मित्र हैं ये भी सही है
मगर थोड़े सामंजस्य की निश्चित कमी है,
आप मानिए, न मानिए
आपकी अपनी इच्छा है
हमारी मित्रता प्रगाढ़ है भी तो
फिर भी विश्वास की कुछ कमी है।
सच कहें तो हम मित्रता की आड़ में
सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं,
मित्रता दिवस पर महज स्टेटस लगाने के लिए
आपको अपना अभिन्न मित्र बताते हैं।
चलिये मैं मान लेता हूँ
कि मैं मित्रता के लायक नहीं हैं
इससे मुझे तो फर्क नहीं पड़ता,
मगर आप मित्रता की आड़ में
अपना चप्पू क्यों चलाते हैं?
अरे भाई! नजीर और भी है मित्रता के
उनका ही अनुसरण करिए,
मित्र अमित्र का अंतर करना सीखिए।
मित्रता की आड़ में आप
पीछे से वार करना क्यों सीखते हैं,
मित्र के लिए कभी जान भी देना पड़े
तो बेझिझक तैयार हो सकेंगे
खुद में ऐसा जज्बा पैदा करिए।
मित्र हैं तो मित्रता की मिसाल बनिए
मित्र को अहसानों के बोझ तले
दबाकर मित्रता न निभाइए
मित्र और मित्रता का न सिर झुकाइये।
माना कि हम अच्छे मित्र न हो सके
कम से कम आप तो कुछ ऐसा करिए
मित्र और मित्रता के नाम पर
सिर्फ दंभ ही तो न भरिए,
हम तो इस लायक नहीं हैं
कम से कम आप ही मेरे मित्रों
मील का नया पत्थर गढ़िए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921