राजनीति

देश में एक बैंक खाता ऐसा भी हो

देश का एक बैंक का खाता ऐसा भी हो , ये विचार तब आया दिल में जब मैं समाज सेविका के रुप में कार्यरत हो , अपनी तरफ से समाज को , हर एक मुमकिन सेवा देने के लिए सदैव प्रयासरत रहती हूं , मैं समाज सेवा के अंतर्गत हमारे देश के हर राज्य में जहां अस्पतालों में मरीजों को किसी भी बिमारी के अंतर्गत खून की कमी हो जाती ओर खून कि जरुरत होती तो अपनी ओर से प्रयासरत हो हर संभव कोशिश करती की मरीज़ को किसी के भी सहयोग से खून मिले और उसको एक नया जीवन दान मिल सके , परंतु बहुत बार हमारे पास बहुत से एसे मरीजों के केस आते जिसके अंतर्गत मरीज़ के इलाज के लिए लाखों , करोड़ों रुपए लगने होते हैं और वह लोग हमसे आर्थिक सहायता की भी उम्मीद लगाते हैं । कभी-कभी तो इतने छोटे-छोटे मासूम बच्चों की तस्वीरें आ जाती है जोकि वेंटिलेटर पर होते हैं और उनके माता-पिता हमसे अपने बच्चे को बचाने के लिए आर्थिक सहायता मांगते हैं तस्वीरें देखकर हमारा दिल विचलित हो जाता है मन में दुख इस बात का रहता है कि हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमारे खुद के हाथ बंधे हुए हैं हम सभी समाज सेवी भी मध्यमवर्गीय परिवार से हैं जो समाज सेवा के लिए तत्पर तैयार रहते हैं परंतु आर्थिक सहयोग नहीं कर पाते हैं , आंसूओं से भर असहाय हम बस बच्चे कि कुशलता के लिए दुआएं ही दे पाते हैं , तब मन में एक विचार आया कि देश के अंतर्गत ही देश में एक ऐसा खाता हो बैंक में , जो ऐसे जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए सदैव तत्पर हो जहां पर वैधानिक तरीके से पूरी जांच परख के बाद ऐसे लोगों की सहायता की जा सके जिसके अंतर्गत छोटे-छोटे बच्चे बड़े सभी को सुविधा उपलब्ध हो सके आप ही सोच रहे होंगे कि यह कैसे संभव है? संभव है बिल्कुल संभव है हमारे भारत देश की जनसंख्या इस समय वर्ष 2022 में 140 करोड़ के आसपास है , इस जनसंख्या के आंकड़े में से एक तिहाई लोग एकदम गरीबी रेखा के नीचे आते हैं एक तिहाई वर्ग को छोड़कर , शेष तीन तिहाई लोग कुछ मध्यमवर्गीय तो कुछ बहुत ही संपन्न रुप से संपन्न होते हैं , गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को छोड़कर यदि हम देश की जनसंख्या का आकलन करेंगे तो जो तीन तिहाई लोग हैं वह यदि प्रतिदिन अपने घर के प्रत्येक सदस्य के नाम पर मात्र एक रुपए इस खाते में जमा करते हैं तो प्रतिदिन देश के खाते में करोड़ों रुपए जमा हो जाएंगे , यदि इसी तरह प्रतिदिन करोड़ों रुपए जमा होते गए तो अरबों रुपए हो जाएंगे और यह राशि 1 महीने के अंदर ही इतनी अधिक हो जाएगी कि इसका फायदा गंभीर रूप से ग्रस्त बीमार मरीजों को उपलब्ध करवाया जा सकता है यदि आज हम बाजार में भी निकलते हैं और हम कुछ भी किसी ठेले वाले के पास भी खड़े होकर खा पी लेते हैं तो हम कितने रुपए खर्च कर देते हैं और उसको तो हम गिनती में भी नहीं लेते हैं , यदि मान लीजिए किसी परिवार में 5 लोग हैं तो उसे मात्र ₹5 इस देश के खाते में जमा करने पड़ेंगे । समाज सेवा के लिए हाल ही में एक केस आया था हमारे पास छोटे से बच्चे का जिसमें एक बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए विदेश से एक इंजेक्शन मंगवाना था जिसकी कीमत 16 करोड़ थी यदि हमारे देश की जनता प्रति व्यक्ति के नाम पर प्रतिदिन एक रुपए दान करती है तो आप सोचिए कि 1 दिन में खाता 100 करोड़ रूपये से ऊपर चला जाएगा , 100 करोड़ की आय से मात्र 16 करोड निकालकर हम किसी बच्चे की जिंदगी को बचा सकते हैं और इसका पुण्यार्थ सिर्फ एक समाज सेवी को नहीं मिलेगा , इसका पुण्य देश के हर एक उस नागरिक को मिलेगा जिसने देश के खाते में समाज सेवा के लिए रोज ₹5 दान किए , यदि किसी घर में भी 10 सदस्य हैं तो वह प्रति व्यक्ति ₹10 भी देगा तो उसे नहीं अखरेगा । अपनी आय में से ₹10 देना सबके लिए आसान हो जाएगा या जितने सदस्य हो उतने रुपए देना आसान हो जाएगा , मैंने कई बार ऐसे केस भी देखे हैं जिसमें लोग एक ही केस के पीछे हजारों रुपए दान दे देते हैं अगर किसी जरूरतमंद को ही हम एक परिवार के पांच सदस्यों के द्वारा दान किये  ₹5 से 5 मरीजों को मदद दिलवा सकते हैं तो हमारे पूरे खाते में सिर्फ एक मरीज की दुआएं नहीं लिखी जाएगी । बल्कि 5 मरीजों की दुआएं लिखी जाएगी मन में जो विचार था उसे आप सभी देशवासियों के साथ साझा किया कुछ लोगों को मानती हूं मेरा विचार पसंद आएगा और कुछ लोग इसके विपक्ष में भी जाएंगे परंतु समाज सेविका के साथ -साथ लेखिका भी हूं , अपने जज्बात दिल में नहीं दबा सकती क्योंकि उस समय मेरे आंख से आंसू नहीं रुक रहे थे जब एक 13 साल का बच्चा लखनऊ के अस्पताल में आर्थिक तंगी के कारण दम तोड़ दिया विवश मॉं सिर्फ हाथ उठा-उठा कर अपने बच्चे बचाने के लिए हम समाज सेवियों से गुहार कर रही थी और हम लोग आर्थिक रूप से अक्षम थे चाह कर भी हम कुछ ना कर पाए । यदि देश का एक खाता ऐसा होता तो हो सकता था हमारे देश की सम्मानित सरकार के द्वारा ही जनता के किये दान से , सहयोग दिलवाकर एक मां की गोद को उजड़ने से बचा सकती थी इस समय लिखते हुए भी आंखें भर आई है परंतु अपने जज्बातों को अपनी कलम में भर आंसुओं को स्याही बना कागजों पर उड़ेल दिया हो सकता है कि आपके मात्र प्रतिदिन प्रति व्यक्ति एक रुपए के दान से लाखों लोगों की जिंदगियों को बचाया जा सके । सच एक खाता ऐसा भी हो जिसमें देश की समस्त जनता सेवा देकर अपना दुआओं का खाता भर सके।
— वीना आडवाणी “तन्वी”

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित