लघुकथा

गवाही

“स्कूटर पर बिना हेलमेट बैठना अपने लिए दुश्मनी मोल लेना है । हेलमेट पीछे बैठे साथी का भी बचाव कर सकता है ।” चौराहे के पास खड़ा मनोहर माइक पर सबको सावधान कर रहा था ।
“कार में आगे बैठे हों या पीछे, सीट बेल्ट लगाना न भूलें ।”
“बुरे समय का पता नहीं लगता, सावधानी में ही सुरक्षा है ।”
“सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ।”
“हेलमेट अवश्य लगाइए, सीट बेल्ट का प्रयोग अवश्य कीजिए ।”
“जल्दी चलो, अस्पताल में लंबी लाइन होती है ।” स्कूटर पर आए मनोहर के मित्र सुरेश ने कहा ।
मनोहर की ड्यूटी का समय समाप्त हो गया था । सुरेश ने डिकी से हेलमेट निकाल कर दिया । मनोहर ने बांह में हेलमेट लटका लिया और पीछे बैठ गया. स्कूटर चल पड़ा ।
सचमुच बुरे समय का पता नहीं लगा । सामने पड़े पत्थर से स्कूटर टकराकर टेढ़ा हो गया । सुरेश तो गिरने से बच गया, पर मनोहर नीचे गिरकर लहूलुहान हो गया था । आसपास के लोगों ने एंबुलैंस को फोन कर दिया ।
हेलमेट न लगाने के कारण उसका सिर तो फट ही गया था, हेलमेट बांह में लटका हुआ होने के कारण बांह भी टूट गई थी ।
एंबुलैंस वालों ने मनोहर के और वारदात की जगह के दो-चार फोटो लिए और बड़ी मुश्किल से उसकी बांह से हेलमेट निकाला ।
मनोहर अस्पताल तो पहुंचा, पर लहूलुहान होकर एंबुलैंस में ।
गवाही के लिए हेलमेट भी साथ में था ।

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244