गीत/नवगीत

विदाई-गीत

कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना
सुख-दुख के जो गीत गाये थे, उनको ना बिसराना।

स्वप्न अधूरा इन आँखों का, तुम पूरा करते थे
अगर हूक उठती मन मेरे, तुम आहें भरते थे
बात-बात पर हँसना अपना, बात-बात मुसकाना
कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना।1।

विदा दृगों से करें तुम्हें हम, हिय से ना जाओगे
मेघ-ताप-हिम जब बरसेगा, याद बहुत आओगे
सहज रखेंगे सदा तुम्हें हम, जैसे कोई नजराना
कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना।2।

जब तक चलती साँस देह में, तुम भी संग रहोगे
उषा बनकर महकोगे, दीपक बन तमस होगे
रग-रग में तुम बूँद लहू की, फिर बनकर बस जाना
कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना।3।

क्या दूरी तन की बोलो, इक दूरी कहलाती है?
मन से मन तक मन की वाणी, चंदन बन जाती है
मलकर इन यादों की सुरभि, तुम तन-मन महकाना
कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना।4।

‘शरद’  विदा कैसे कर दे अब, जब आँखें रोती हो
सिसक-सिसक कहती हैं पलकें, तुम मेरे मोती हो
इन सीपों से बिछड़ के ओझल, कभी नहीं हो जाना
कदम-कदम हम साथ चले थे, हमको भूल ना जाना।5।

— शरद सुनेरी