सामाजिक

सड़कों का जाम कब छोड़ेगा हिमाचल को रुलाना

हिमाचल प्रदेश यूं तो प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब भरा एक तालाब जैसा प्रदेश है। हम यहां की शांत सुरम्य वादियों में बैठ पल भर के लिए खुद को भी भूल जाते हैं। भारतवर्ष तो क्या विदेशों से भी पर्यटक यहां आने के लिए उतावले रहते हैं। कुल्लू, शिमला, लाहौल, धौलाधार की वादियों में एक बार किसी का मन रम जाए तो वह यहां आने के लिए बार-बार  तड़पता रहेगा।  यहां पर्यटकों की तादाद बढ़ने से हिमाचल के लिए भी कुछ नुकसान नहीं पहुंचा। आवागमन के रास्ते खुलने पर हिमाचल की संस्कृति से बाहरी लोगों को भी इसके बारे में जानकारी मिली। आज विदेशों में भी हिमाचल के पहनावे और खान पान का जिक्र होता है। इसी तरह के आवागमन के कारण ही संस्कृति, सभ्यता का एक दूसरे देश से मिलना होता रहा है। वैसे तो आए दिन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा हिमाचल प्रदेश पर्यटकों के लिए नए नए साहसिक खेलों, और न जाने कितनी गतिविधियों का आयोजन करता रहता है लेकिन यहां तक पहुंचने में पर्यटक अपनी स्वयं की गाड़ी, बसें इत्यादि लेकर आते हैं तो यहां अचानक वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। हिमाचल प्रदेश की सड़कें पहाड़ों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बनाई गई हैं और यहां आकर पर्यटक अपना वाहन चालन का कौशल दिखाना चाहते हैं। यह काम कई बार उनकी जिन्दगी पर भी भारी पड़ने लगता है।
आज जहां भी देखो वाहनों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। ऐसे में आम जनता को कितना नुकसान झेलना पड़ता है। अस्पताल ले जाने के लिए मरीजों से भरी एम्बुलेंस जाम के कारण समय पर नहीं पहुंच पाती और अनेक मर्तबा अनहोनी की घटनाएं भी हो चुकी है। इसमें गलती किसकी है???? सभी प्रशासन को कोसते रहते हैं लेकिन हमें खुद से भी तो ध्यान रखना चाहिए ना …. सामने से आते वाहन को रास्ता देने में आज हम अपनी तौहीन समझते हैं। परीक्षाओं के लिए समय पर न पहुंचने से कितने ही परीक्षार्थी परीक्षा से वंचित रह जाते हैं , घर से आवश्यक सामान लेने निकले लोग घर पर वापिस चार छ घंटे में पहुंचते हैं , सड़कें दिन भर बन्द रहती हैं और देखते ही देखते लड़ाई झगड़े भी शुरू हो जाते हैं ।
इन सबका जिम्मेदार कौन?????
हम भी कहीं न कहीं हैं……. थोड़ी दूर जाने के लिए भी अपना वाहन ही लेकर जाएंगे और वहां यदि पार्किंग की व्यवस्था न हो तो सड़क के किनारे पर ही अपनी गाड़ी लगा आएंगे और फिर “दूसरों को जो भी समस्या हो उसकी चिंता हमने क्यों लेनी” , ऐसी मानसिकता वाले लोग भी आज यहां मौजूद हैं। हमें जितना हो सके सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें और यदि कहीं अपना वाहन लेकर जाते ही है तो पहले यह सुनिश्चित करें कि वहां आपके वाहन के लिए पार्किंग सुविधा है या नहीं! थोड़ी दूरी की यात्रा पैदल तय करने का प्रयास करें और युवा वर्ग अपने मोटर साइकिल इत्यादि भी सुरक्षित स्थान पर पार्क करें । आमतौर पर महाविद्यालयों, कार्यक्षेत्रों के आस पास मोटर वाहनों की कतार लगी मिलती है और जब वहां से बस या अन्य वाहनों को गुजरना होता है तो यही मोटरें आड़े आती हैं। जरा सी देर में ही वाहनों की कतारें लग जाती है और फिर बमुश्किल उस जाम से छुटकारा मिलता है।
दिन प्रतिदिन लगने वाले जाम के कारण अनेक काम अधूरे रह जाते हैं। कोई कार्यालय समय पर नहीं पहुंच सके तो कोई अस्पताल । इस समस्या से निजात पाने के लिए हमें पहले खुद सजग होना चाहिए ताकि जाम से होने वाले नुकसान से कुछ तो बचाव हो।
— रोमिता शर्मा ‘मीतू’ 

रोमिता शर्मा "मीतू"

करसोग, हिमाचल प्रदेश