कविता

कविता – जिंदगी में पिता का ओहदा खास है

पिता एक उम्मीद एक आस है
जिंदगी में पिता का ओहदा खास है
परिवार का खास प्यारा बॉस है
पिता परिवार की अग्रणी आस है
जिसके पास पिता है
उसकी तकदीर बुलंद है
पिता ज़मीर पिता जागीर है
पिता ईश्वर अल्लाह का ही एक रूप है
पिता जिम्मेदारियों की गाड़ी से
लदा हुआ खास सारथी है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला
हमदर्द साया और बिछौना है
पिता हमारे सपनों को पूरा
करने वाली हमारी प्यारी जान है
जग में कहने को एक बात है
पिता मां और बच्चों की पहचान है
जो पिता का अपमान करते हैं
वह जीव घोर अन्यायी और पापी है
कंस दैत्य और रावण की कॉपी हैं
परंतु धन्य पिता उनके लबों पर हमेशा माफ़ी है
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया