कविता

छल

मन में इनके छल कपट लालच
हँस हँस कर बातों में उलझाते
मधुर मुस्कान रहती इनकी अधर पर
होते ऐसे लोग दोगले चहेरे वाले
सूरत से लगते भोले भाले
वाणी मीठी होती इनकी
हर किसी को वश में करते
दिखलाते अपने को बेचारा
किसी की भी भावनाओं से खेलते
इनके आगे अपने राज न खोले
दिल अच्छे मन होते काले
इनकी भोली सूरत पर मत जायो
भरोसा तोड़ते किसी के दुख को न समझे
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश