कविता

ये जो है जिंदगी

सुख दुख का आना जाना है जिंदगी
एक मुसीबत टला तो फिर
दूसरे मुसीबत में बिखर जाती है जिंदगी।
हर पल बीत जाता है ये सोचने में
कैसा है तू ए मेरी जिंदगी
सपने तो सपनों में रह जाते हैं
बस दाल रोटी के चक्कर में गुजर जाती है जिंदगी।
सोचता हूँ कल आएगा, हमारा भी कल आएगा
मगर परिवार की जिम्मेदारियां निभाने में ही गुजर जाती है जिंदगी।
एक आस और विश्वास की शक्ति है जिंदगी
इसी शक्ति की सवारी है ये जिंदगी।
एक वक्त था खुद के जीवन संवारने का
अब तो बच्चों का ही सोचती है जिंदगी
उनके सपनों को ही अपना सपना
पूरे करने का नाम है ये जिंदगी।

— मृदुल शरण