कविता

वो कोयल है किस काम का


  1. वो कोयल है किस काम का,
    जिसकी मीठी बोल न हो।
    वो आदमी भला किस काम का,
    जो सबका भला चाहता ही न हो।

    इस जीवन में वह कार्य करो,
    जिसपर हर कोई हर्षित हो।
    कर्तव्य मार्ग पर चलने को,
    प्रेरणा सबको मिलती हो।

    खाओ-पीओ आराम करो,
    यदि केवल यही मानसिकता हो।
    तो समझो जीवन व्यर्थ हुआ,
    मानव होकर भी जानवर ही हो।

    वो नाव है किस काम का,
    जिसमें कोई पतवार न हो।
    उसका जीना क्या जीना है,
    जिसका कोई इज्जत ही न हो।

    वो मोटा हुआ किस काम का,
    जो औरों का खून पीता हो।
    उसका गुमान किस काम का,
    जो औरों का हक खाता हो।

    वो बहादुर है किस बात का,
    जो संघर्ष के राह पर चला न हो।
    वो कोयल है किस काम का,
    जिसकी मीठी बोल न हो।

    अमरेन्द्र
    पचरुखिया,फतुहा,पटना,बिहार।
    (स्वरचित एवं मौलिक)

अमरेन्द्र कुमार

पता:-पचरुखिया, फतुहा, पटना, बिहार मो. :-9263582278