धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आक्रोश में हिन्दू समाज

उज्जैन धार्मिक नगरी अपने अध्यात्म व धर्म से जुड़े होने के कारण विश्व में विख्यात है। यहां का कार्तिक मेला भी बड़ा प्रसिद्ध है, यह सोचकर ही आगर से दीपू जादम, आशीष संजू व  व उनका परिवार उज्जैन मेले में पहुँचें थे। साथ में घर की महिलाएं व युवतियां भी थी। मेले में नाव वाले झूले पर कुछ लड़कों ने बहनों पर अश्लील कमेंट किए, यह इन गुंडों का रोज़ का काम था मेले में आई युवतियों से छेड़छाड़ करना, परेशान करना और विरोध करने पर संख्या का डर दिखा कर पीड़ित को प्रताड़ित करना। बहन के विरुद्ध गलत शब्द सुनकर दीपू सभी लड़कों से भिड़ गया, आखिर कोई भी भाई अपनी बहन के विरुद्ध गलत कैसे सुनता ? इसके बाद बात विवाद तक पहुँच गई। पुलिस आई और दीपू के साथियों आशीष व संजू को बैठा लिया, जबकि अश्लील कमेंट करने वाले जिहादी जो कि अपराधी प्रवत्ति के थे, मेले में घुमते रहे, ये उज्जैन के हेलावाड़ी क्षेत्र के गैंगस्टर एटीट्यूड के युवक थे, जिनके लिए चाकू मारना , गोली चलाना आम बात है। उन्होंने फोन करके अपने कुछ साथियों को बुलवाया। जब मेले में पुलिस द्वारा अन्य साथियों को बैठा लेने पर दीपू जादम (माली) अकेला पड़ गया तब इन गुंडों ने उससे मारपीट करके, चाकू मार दिया। यह कोई सामान्य घटना नही बल्कि अपनी बहन के लिए संघर्ष करने वाले भाई दीपू की जिहादी गुंडों द्वारा नृशंस हत्या है। जिसमें स्थानीय पुलिस कर्मियों की भी नकारात्मक भूमिका सामने आई। यदि समय रहते सही कार्यवाही होती, तो दीपू की जान नही जाती, और बहनों पर अश्लील कमेंट करने वाले गुंडों को सबक मिलता।
कार्तिक मेला जो कि एक हिन्दू त्योहार है, हिम्मत कैसे हो जाती है जिहादी तत्वों की मेले में घुसने की। वह भी हिन्दू बहनों के विरुद्ध अश्लीलता फैलाना, कमेंट करना और यदि कोई भाई विरोध करेगा तो उसे जान से मार दिया। यह बहुत आक्रोशजनक सन्देश समाज मे गया है, हिन्दू समाज हर तरह के प्रतिकार के लिए सदैव तैयार रहता है। कार्तिक मेला हिन्दू समाज का उत्सव है, यदि इसमें मुस्लिम अपने झूले या अन्य दुकान लगाते है तो किसी भी तरह के विवाद की जिम्मेदारी तय होना चाहिए। शासन प्रशासन यह स्पष्ट करे कि धार्मिक मेले में मुस्लिम युवक आखिर कर क्या रहे थे, इस प्रकार के मेलों में मुस्लिम युवक लड़कियों से छेड़छाड़ करते है, लव जिहाद का षड्यंत्र करते है, हिन्दू समाज को अपनी पूरी शक्ति से मुस्लिम युवकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। समाज एकजुट होकर धार्मिक व सांस्कृतिक मेलों से मुस्लिम ठेकेदार, दुकानदार, झूला व्यापारी और मुस्लिम युवकों के प्रवेश पर रोक लगाए। साथ ही पुलिस की भी जिम्मेदारी बनती है यदि उचित सुरक्षा व्यवस्था दे सकें तो ठीक वरना हिन्दू समाज स्वयं मेलों व अपनी बहनों की सुरक्षा के लिए शस्त्र लेकर निकले।
अब बात शासन व प्रशास्ब की तो मध्यप्रदेश सरकार को उत्तरप्रदेश की योगी सरकार से प्रेरणा लेना चाहिए। योगी सरकार इसे अपराधियों का न्याय सीधे करती है, वहां बलात्कारी या नृशंस हत्यारों को कानून के भरोसे छोड़ा नही जाता, बल्कि स्पष्ट न्याय वहां की रक्षक पुलिस कर देती है। मध्यप्रदेश सरकार यह ध्यान रखे कि हिन्दू समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग आपको वोट देता है विजय दिलाता है, यदि इसी तरह बहन के स्वाभिमान के लिए टकराने वाले भाई मरते रहे तो जनता का विश्वास आपसे उठ जाएगा। उज्जैन की हेलावाड़ी सहित अपराधियों के सभी अड्डे ध्वस्त होना चाहिए, अगली बार हेलावाड़ी के नाम से कोई आपराधिक खबर ना छपे इतना डर पुलिस व प्रशासन का होना चाहिए। आगे से किसी हिन्दू बहन को छेड़ने की हिम्मत कोई जिहादी ना कर सके ऐसी कार्यवाही होना चाहिए। हिन्दू समाज जिन्हें सत्ता में बैठाता है उनसे इस तरह का ढुलमुल रवैया अपेक्षा से परे है। दीपू के परिवार में किसी एक को शासकीय नोकरी और सहयोग दिया जाना चाहिए। क्योंकि यह शासन का फैलियर है, यदि समाज अपनी रक्षा व सुरक्षा स्वयं करने उतरा तो किसी बहन की तरफ देखने से भी कोई गुंडा हजार बार सोचेगा। घरों में छुपे हुए अफ़ज़लों को दंड देना व शिवाजी महाराज के सिद्धांतों पर  न्याय करना हिन्दू समाज भली भांति जानता है।।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश