कविता

ना बदला जालिम इन्सान

रंग बदला रूप बदला
बदल गया ये  जहान
साल बदला  ताल बदला
पर ना बदला जालिम इन्सान

देश बदला परिवेश बदला
बदल गया अपनी पहचान
सूरज ना बदला चन्दा ना बदला
और ना बदला जालिम इन्सान

रूप बदला स्वरूप बदला
और  बदल गया है ये जहान
खान बदला और पान बदला
पर ना बदला जालिम इन्सान

प्रदेश बदला विदेश बदला
और बदल गया जान अनजान
लालच ना बदला बादल ना बदला
और ना बदला जालिम इन्सान

नाम बदला परिणाम बदला
और बदल गया पैगाम
सुबह ना बदला शाम ना बदला
और ना बदला जालिम इन्सान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088