गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तनहा अकेले हमसे कटता नहीं सफर
हर ओर ढूंढती है तुझको मेरी नज़र।

बिछड़े भी नहीं और जुदा तुम से हो गए
धड़कन में तेरे दर्द का बाकी रहा असर।

मौसम बहार का था खिजां भी आ गई
जाऊं तो किधर जाऊं मिलती नहीं डगर।

वो प्यार के पल शायद फिर आएं न लौटकर
जाने हमारी चाहतों का होगा कहां बसर।

आंखों में नमी है ये दिल बेजुबान है
फरियाद सुनले आकर अब होता नहीं सबर ।

दुनिया में कितने लोग है मिलते हैं हमसे रोज़
लेकिन तुम्हारे बिन दिल का सूना है ये शहर ।

तुम नहीं तो जानिब, चहरे का नूर ढल गया है
सब ख्वाब उड़ गए हैं सूना हुआ सजर।

— पावनी जानिब

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर