कविता

होली

होली आयी है रंग ले तू तन मन होली के रंग में,
प्रीत का रंग छायो जनकपुर में,
होली खेली सिया की सखियाँ भी है नगरी मे
रंग गयी सारी नगरी अब गुलाबी में !!
होली आयी है रंग ले तू तन मन होली के रंग में,
प्रीत का रंग छायो मथुरा में,
होली खेले राधे की सखियाँ
रंग गयी सारी नगरी अब वासंती में !!
होली आयी है रंग ले तू तन मन होली के रंग में,
प्रीत का रंग छायो कैलाशपुरी में,
होली खेली गौरा की सखियाँ,
छायो शंकर सबरी पहाड़ी में,
रंग गयो नगरी सिंदूरी में !!
होली आयी है रंग ले तू तन मन होली के रंग में,
— भगवती सक्सेना गौड़

*भगवती सक्सेना गौड़

बैंगलोर