पेड़ की अभिलाषा
मैं पेड़ हूं,
फल फूल औषधि और लकड़ी का,
राजा हूं।
प्राणवायु की महारानी हूं,
जीवन की धूरी हूं,
मेरे बिना झिझके हुए लोगों की,
कल्पना अधूरी है।
मैं ज़रूरत हूं,
सपनों को करतीं पूरी हूं।
में आश्रय देता हूं
पशु पक्षियों को सुरक्षित बचाने में,
दिल से मदद करता हूं।
मैं एक ठंडक धारणी हूं,
तापमान को कमजोर करतें हुए
नियंत्रित रखता हूं।
सूर्य की हरकतों से,
जनजन को सुरक्षित रखने में,
सदैव आगे रहता हूं।
मैं जीवन चक्र की सबसे बड़ी मिठास हूं,
ज़िन्दगी की खुबसूरत अहसास हूं।
आज़ मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है
मुझे खत्म करने के लिए,
तरह-तरह का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
मैं प्रकृति का वरदान हूं,
जनमानस की आन बान और शान हूं।
मुझे मुश्किल वक्त में सहारा चाहिए,
मेरे शरीर को को अनवरत रहने के लिए,
कटाई करने वाले लोगों से छुटकारा चाहिए
हमें सुरक्षित रखने की कोशिश की जाएं,
मैं वादा करता हूं,
जनजन को सुरक्षित रखूंगा,
प्रकृति के आवरण में
कोई आंच नहीं आने दूंगा।
— डॉ. अशोक