बाल कविता

साइकिल की सवारी

राजन के पापा ने दी साइकिल,
स्कूल है जाता उसपर सवार।
मस्ती करते वह नहीं है थकता,
मिलता इससे खुशियां अपार।
जन्म दिन का राजन ने पाया,
अपने पापा से यह उपहार।
खुशियां थमने का नाम न लेता,
घर आंगन हो रहा गुलजार।
सुबह-सुबह वह साइकिल की,
सेवा करता खूब उपचार।
साफ़ सफाई करने में व्यस्त,
मिलता उसे खुशियां हजार।
आज़ राजन साइकिल पर,
चढ़कर दिखलाने लगा  होशियारी।
गिरा ज़मीन पर जमी पर धड़ाम से,
चलीं गईं सब उनकी खुशियां सारी।
पापा आकर फ़िर उसे समझाएं,
साइकिल से मत करो  खिलवाड़।
साइकिल है एक सुंदर व उत्तम साधन ,
मत करो साइकल से कभी  तकरार।
— डॉ. अशोक

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - ashokelection2015@gmail.com