पर्यावरण

इसी पर्यावरण का अंश हैं हम

वर्ष के प्रत्येक दिन किसी न किसी विशेष दिवस को मनाए जाने की परंपरा काफी सालों से चलती आ रही है जैसे मातृ दिवस पितृ दिवस बेटी दिवस वेलेंटाइन दिवस इत्यादि। वैसे इन दिवसों को मनाए जाने का कोई खास दिवस निश्चित नहीं होता यह दिवस प्रत्येक दिवस मनाए जा सकते हैं परंतु रोजमर्रा से अलग कुछ करने की चाह में हम इन दिवसों को विशेष दिवस के रूप में मनाते हैं जिसमें कोई बुराई भी नहीं है ।ऐसा ही एक दिवस हम प्रतिवर्ष 5 जून को भी मनाते आए हैं जिसे विश्व पर्यावरण दिवस के नाम से जाना जाता है।
प्रत्येक वर्ष 5 जून को समस्त विश्व में यह दिवस बहुत ही शिद्दत और धूमधाम से मनाया जाता है। व्यापक पैमाने पर पेड़ इस दिन पौधों को आरोपित किया जाता है ,बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ,काव्य गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं और विभिन्न सामजिक सरकारी एवम गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संकल्प भी लिए जाते हैं कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित रखेंगे और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएंगे ताकि हम अपनी आगे आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित संरक्षित एवं साफ सुथरा पर्यावरण सौंप सकें। यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी तो है ही ,साथ ही यह हमारा नैतिक कर्तव्य भी बनता है कि जिस प्रकार हमारे बड़ों ने हमें प्रदूषण रहित पर्यावरण सौंपा,,उसी प्रकार आगे आने वाली पीढ़ियों को भी हम अच्छा और साफ सुथरा पर्यावरण सौंपकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में स्कूलों,कॉलेजों एवम अन्य अनेक शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनका उद्देश्य जनमानस में पर्यावरण के प्रति चेतना विकसित करना है ।इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जन-जन को यह संदेश पहुंचाना है कि यदि पर्यावरण है तो हम हैं हम पर्यावरण से हैं और पर्यावरण हमसे है ,यह बात हमें सदैव याद रखनी होगी तभी हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा पाएंगे और इसको संरक्षित कर पाएंगे क्योंकि यदि पर्यावरण को हानि पहुंचती है तो अप्रत्यक्ष रूप से जीव जंतुओं और सभी मनुष्यों को भी नुकसान होता है क्योंकि पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। सभी जीव जंतु जानवर वनस्पति प्राकृतिक संपदा पर्यावरण के ही तो हिस्से होते हैं। पर्यावरण को सुरक्षित रखकर ही प्राकृतिक संपदा को संरक्षित और सुरक्षित रखा जा सकता है।
आजकल सोशल मीडिया पर विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पर्यावरण जागरूकता संबंधित आयोजन करवाए जाते हैं जिसमें पोस्टर मेकिंग स्पीच ग्रुप डिस्कशन और काव्य गोष्ठी का आयोजन प्रमुख हैं ।इन सभी का एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित करना है ,लोगों को जागरूक करना है कि यदि समय रहते उन्होंने पर्यावरण को नहीं बचाया तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी कमजोरियों और अपनी गलत आदतों के स्वयं शिकार हो जाएंगे । यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि पर्यावरण को हानि पहुंचाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से हम मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। हमने प्राकृतिक संपदा का दोहन किया और अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु तथा अपने विकास की गति को तीव्र करने हेतु पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है जिसका खामियाजा हमें ही देर सवेर भरना पड़ेगा।
यह भी सत्य है कि विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्र में बहुत सुखद एवं बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं ,किंतु केवल संस्थाओं के करने से ही सब कुछ नहीं होगा। प्रत्येक व्यक्ति को इस क्षेत्र में जागरूक होना होगा और जागरूक होने के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में उचित कदम उठाने होंगे। केवल पौधारोपण करने से ही हम पर्यावरण को नहीं बचा सकते ।पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए हमें हमारे पास उपलब्ध पेड़ों और वनस्पति को भी तो बचाए रखना है उनका दोहन नहीं करना है उनके दोहन करने से दूसरों को भी रोकना है और आपसी सहयोग की भावना से मिलकर काम करना है तभी इस दिशा में सकारात्मक परिणामों की हम आशा रख सकते हैं।
पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण के विषय में सोचना कोई बड़ी बात नहीं है। हमें न केवल 5 जून अपितु वर्ष के प्रत्येक दिन पर्यावरण के विषय में गंभीरता से सोचना होगा और केवल सोचने से ही काम नहीं बनेगा हमें इस दिशा में सक्रिय होना होगा।हमें अपनी प्राकृतिक संपदा का रखरखाव करना होगा उसको नुकसान न पहुंचे इस दिशा में उचित कार्य करने होंगे। प्राकृतिक संसाधनों के शोषण पर रोक लगानी होगी पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना बंद करना होगा जीव-जंतुओं के साथ दुर्व्यवहार पर रोक लगानी होगी जंगलों को काटना बंद करना होगा और जिन कारणों से पर्यावरण प्रदूषित होता है उन सभी कारणों को भलीभांति जानना होगा और यह सब भविष्य में न घटे इस पर कार्य करना होगा। प्लास्टिक और पॉलिथीन पर भी अब पूर्णतया बैन लगाना होगा ।यह शुरुआत हमें खुद से ही करनी होगी तभी हम दूसरों को इसके प्रयोग से होने वाले नुकसान और से अवगत करा पाएंगे और उन्हें रोक पाएंगे।
यदि इस प्रकार के सकारात्मक परिवर्तन हम अपने भीतर ला पाए तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी जिससे हम अपने आसपास के लोगों को भी प्रेरित कर सकते हैं और उन्हें बता सकते हैं कि हम सभी पर्यावरण के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और यदि हम भविष्य में भी इसका हिस्सा बने रहना चाहते हैं तो हमें आज ही से इस को सुरक्षित रखने की मुहिम में अपना योगदान देना होगा। हमें अपनी भूमिकाएं तय करनी होंगी कि हम किस प्रकार पर्यावरण के पोषण और संरक्षण की दिशा में कार्य कर सकें क्योंकि केवल आयोजन और कार्यक्रम आयोजित करने से हिसाब कुछ नहीं हो सकता, हमें व्यवहारिक दिशा में काम करने होंगे ताकि हम अपने पर्यावरण को पहले से और अधिक सुंदर ,प्रदूषणरहित एवं बेहतर बना पाएं। तो आइए ,आज हम सब मिलकर संकल्प लेते हैं कि हम अपने पर्यावरण को पहले से अधिक बेहतर बनाने की दिशा में पुरजोर कोशिश करेंगे।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली