बाल कहानीबाल साहित्य

चतुर लोमड़ी

किसी जंगल में एक शेर रहता था। नाम था उसका- शेरसिंह। उसे अपने बल का बड़ा घमंड था। वह प्रतिदिन बहुत से जानवरों को मारता था। एक-दो को खाता, बाकि वैसे ही मारकर फेंक देता था। शेरसिंह से सभी जानवर डरते थे। जिस रास्ते से वह निकल जाता, सभी इधर-उधर छिप जाते।
इस विनाश को देखकर वन के सभी जानवरों ने सोचा कि यही दशा रही, तो वह दिन दूर नहीं, जब इस वन में हम जानवरों का नामोनिशान ही मिट जाएगा। सभी शेरसिंह के आतंक से छुटकारा पाना चाहते थे।
एक दिन हिरण, चिड़िया, खरगोश, हाथी, बंदर, भालू सभी इकट्ठे हुए। हिरण बोला, ‘‘क्या करें, हमारा तो जीना मुश्किल हो गया है। न दिन में चैन है न ही रात को आराम।’’
‘‘इस संकट से हमेँ लोमड़ी मौसी ही बचा सकती है। हम सब उनके पास चलें, शायद मुक्ति के लिए वे कुछ उपाय बता सकेंगी।’’ नन्ही चिड़िया की बात सभी ने मान ली।
सारे जानवर मिलकर बूढ़ी लोमड़ी मौसी के पास गए। लोमड़ी ने सभी की बात ध्यान से सुनी और कुछ सोचकर अपनी योजना उन्हें बताई।
योजना के अनुसार दूसरे ही दिन सभी जानवर झुण्ड बनाकर शेरसिंह की गुफा के पास इकठ्ठे हुए। जानवरों के आने का पता चलने पर शेरसिंह गुफा से बाहर निकला और गरजकर पूछा- ‘‘तुम सब लोग यहाँ किसलिए आए हो ?’’
लोमड़ी ने आँखों में आँसू भरकर नम्रतापूर्वक कहा, महाराज ! आप इस जंगल के राजा है। आपको गुफा में रहना और भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकना शोभा नहीं देता। हमारी आपसे प्रार्थना है कि हम लोग आपके रहने के लिए एक बड़ा-सा महल बनाएँगें, जिसमें आप आराम से, सुख-चैन से रहेंगे। रही बात भोजन की, तो हममें से एक पशु बारी-बारी से आपके भोजन के लिए प्रतिदिन आपकी सेवा मे उपस्थित हो जाया करेगें। इससे आपको भी असुविधा नहीं होगी और हम जानवरों का वंश भी चलता रहेगा।
शेरसिंह को जानवरों की बात जँच गई। उसने कहा, मुझे तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार है पर शर्त यह है कि महल जल्द से जल्द तैयार हो और एक दिन भी यदि मेरे आहार के लिए पशु समय पर नहीं पहुँचा, तो मैं तुम सबको एक दिन में ही मार डालूँगा।
जानवर अपनी प्रार्थना स्वीकार होने पर लौट गए। उन्होंने महल बनाने का काम उसी दिन से ही शुरू कर दिया और बारी-बारी से किसी न किसी जाति के पशु दोपहर में भोजन के समय शेरसिंह की गुफा में जाने लगे, जिसे खाकर वह अपनी भूख मिटाता। कुछ ही दिनों में जंगल के भीतर एक बड़ा-सा महल भी बनकर तैयार हो गया। अब शेरसिंह महल में रहने लगा।
एक दिन लोमड़ी मौसी ने मौका देखकर उस महल का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। कुछ देर बाद ही शेरसिंह की दहाड़ से पूरा जंगल गूँजने लगा।
डरते-डरते सब जानवर महल के पास पहुँचने लगे। महल के बाहर बैठी लोमड़ी मौसी ने सारे जानवरों को इस घटना के बारे में बता दिया कि शेरसिंह अब हमेशा के लिए उस महल में बंद हो गया है। एक-दो दिन बाद ही शेरसिंह की भूख-प्यास से मौत हो गई और जंगल के सभी जानवरों को उसके आतंक से मुक्ति मिल गई।
सबने लोमड़ी मौसी की बुद्धि की खूब प्रशंसा की और उसका बहुत आदर करने लगे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) अब तक कुल 16 पुस्तकों का प्रकाशन, 60 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : pradeep.tbc.raipur@gmail.com डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888