गीतिका/ग़ज़ल

बारिशें

घर किसी का यहाँ ढा रहीं बारिशें
तो किसी को यहाँ भा रहीं बारिशें
भीगकर छाँव कल थी बनाई मगर
घर के भीतर उतर आ रहीं बारिशें
आज मौसम   हमारे यहाँ   देखिए
शाँत परिवेश   चहका  रहीं बारिशें
आँच में सूख थी जो गयी कल धरा
उस धरा को भी’ नहला रहीं बारिशें
गुनगुगाता ‘शिवा’ गीत बारिश में’ यूँ
गीत मल्हार हैं गा रहीं बारिशें
— अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा”

अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा"

पूरा नाम अभिषेक श्रीवास्तव, उप नाम - "शिवा" मूलतः मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के निवासी हैं, इन्होंने कंप्यूटर विज्ञान के साथ अपनी स्नातक पूर्ण की है, और ये कंप्यूटर के साथ-साथ हिंदी साहित्य में भी काफी रुचि रखते हैं, ये अभी तक करीब 120 पब्लिश रचनाएं लिख चुके हैं ,यह लेखन और पाठन से संबंधित प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्सुक रहते हैं। Insta:- @Shrivastava_alfazz