गीतिका/ग़ज़ल

पाश्चात्य संस्कृति अपनाई

हिंदू महिलाओं ने सिर पर, पल्लू रखना छोड़ दिया।
फैशन में बिंदी, चूड़ी, सिंदूर से, सजना छोड़ दिया।
पाश्चात्य संस्कृति अपनाई, फटी जींस पहनें युवती
कम से कम वस्त्रों में घूमें, तन को ढँकना छोड़ दिया।
हिंदू होकर भी पुरुषों ने, चोटी अपनी कटवा दी
तिलक लगाना, मंदिर जाना, शास्र भी पढ़ना छोड़ दिया।
धूमपान, पुड़िया, गुटखा, ड्रग, शीतल पेय के आदी बन
दूध, दही, घी, शर्बत, लस्सी, स्वाद भी चखना छोड़ दिया।
छोटी-सी नौकरी शहर में. पाने को सब भटक रहे
खेती, उद्यम, पशुपालन में, अब श्रम करना छोड़ दिया।
मोबाइल, कंप्यूटर से ही, बच्चे हैं चिपके रहते
अभिभावक की डांट – डपट पर, ध्यान ही धरना छोड़ दिया।
वैदिक संस्कृति के कारण, भारत जग में सिरमौर रहा
राम – कृष्ण के आदर्शों में स्वयं को रँगना छोड़ दिया।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र 

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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