बाल कविता

राखी- बाल गीत

राखी के कच्चे धागों में,
बंधा हुआ है इतना प्यार,
कर्मवती की राखी पाकर,
हमायूं को हुआ गर्व अपार.
झटपट उसकी रक्षा हेतु,
सेना ले तैयार हुआ,
राखी न जाने जन्म के बंधन,
राखी का सम्मान हुआ.
— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “राखी- बाल गीत

  • डॉ. विजय कुमार सिंघल

    बहिन जी, कविता के भाव अच्छे हो सकते हैं, परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से यह गलत है। यह तो सत्य है कि रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा करने की प्रार्थना की थी और हुमायूँ ने भी सहायता भेजी थी, परन्तु उसने केवल दिखावे के लिए ही सहायता भेजी थी और जान-बूझकर इतनी देरी की थी कि रानी की रक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ और उनको जौहर करना पड़ा था।
    कृपया कविताएँ लिखते समय ऐतिहासिक तथ्यों का ध्यान रखें। झूठी हिन्दू-मुस्लिम एकता का गान करने से कोई लाभ नहीं है।

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