पुस्तक समीक्षा

समीक्षा पत्रकारिता में प्रतिक्रिया डॉ जसवंत सिंह जनमेजय

पत्रकारिता में प्रतिक्रिया डॉ जसवंत सिंह जनमेजय जी द्वारा समय समय पर पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख समाचार साहित्य की सभी विधाओं पर समसामयिक प्रतिक्रियाओं का जीवन्त दस्तावेज है। एक समय था जब समाचार पत्रों की विश्वसनीयता होती थी। उसमें लिखे विचार और विशेष रूप से संपादकीय समाज की विशेष समस्या या उपलब्धि पर तथ्यात्मक और शोध परक आलेख लिखा करते थे और पाठकों की प्रतिक्रिया को समाचार पत्र में स्थान दिया जाता था। अक्सर पाठकीय प्रतिक्रिया पर विमर्श भी होता था और विशेष पत्र को बॉक्स बनाकर प्रकाशित करने के उपरांत समाधान या स्पष्टीकरण दिया जाता था। शायद नयी पीढ़ी के बच्चों को यह अजीब लगे परन्तु यह सत्य था और हम भी संपादकीय के अलावा पाठों के पत्र पढ़ा करते थे। पत्रकारिता में प्रतिक्रिया डॉ जसवंत सिंह जनमेजय जी के उन्हीं पत्रों का संकलन है जो दो दशक तक विभिन्न विषयों पर जनमेजय जी द्वारा समाचार पत्रों पत्रिकाओं को लिखे गये तथा प्रकाशित हुये। यह मात्र पत्र या प्रकाशित पत्रों का दस्तावेज नहीं है अपितु एक जागरूक नागरिक य/ पाठक का राष्ट्रीय मुद्दों से सरोकार है। शायद उस समय तो डॉ जनमेजय जी ने सोचा भी नहीं होगा कि किसी समय उनके यह पत्र पाठकों के मार्ग दर्शक बन सकेंगे। डाक तार विभाग में सेवा करते करते समाज के प्रति दायित्वों के निर्वहन की चाह ने जसवंत सिंह जनमेजय जी को जागरुक पाठक और सजग नागरिक बना दिया। साहित्य क्या है कैसा है, गीत ग़ज़ल कविता कहानी निबंध आदि सभी का उद्देश्य समाज को संस्कार संस्कृति सभ्यता के प्रति सजग करना भूतकाल को वर्तमान से जोड़े रख भविष्य की कल्पना करना भी है। अगर इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो डॉ जनमेजय जी समाज के सजग साहित्यकार हैं जिन्होंने अपनी विशिष्ट शैली से समाज को जागरूक किया है। सजग सशक्त लेखनी के धनी संवेदनशील लेखक डॉ जसवंत सिंह जनमेजय जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ निश्चित ही यह पुस्तक नयी पीढ़ी के बच्चों को इतिहास में झांकने का अवसर प्रदान करेगी। अशेष शुभकामनाएँ।

— डॉ अ कीर्ति वर्द्धन