कविता

मेरे जाने की फ़िक्र

यार मुझे समझ नहीं आता
मेरे जाने की तुम्हें इतनी जल्दी क्यों हैं,
कि आखिर तुझे इतना बुखार क्यों है?
जब मुझे जाना होगा चला जाऊंगा
टी. बी. अखबार, सोशल मीडिया में
फोटो के साथ आ जाऊंगा,
जब जी भरकर यकीन हो जाए
तब आराम से सो जाना।
मगर तब तक अपना सिर पीटते रहो
मंदिर मस्जिद गिरजा, गुरुद्वारा 
घूम घूम के अपना सिर पटकते रहो,
भगवान करे तुम्हारी मुराद पूरी हो जाए
बस एक बार यमराज से तुम्हारी भेंट हो जाए,
और तू सचमुच निपट जाए
यमराज मेरा यार है तुझे ये पता नहीं 
मेरा तो पता नहीं पर तूझे यकिन दिलाता हूँ
मुझसे पहले तू जायेगा पक्का यकीन हो गया है,
क्योंकि पिछली मुलाकात में
यमराज यही बात मुझसे कहकर गया है,
राज की बात बताऊँ,
मेरी जगह तेरे नाम का पर्चा मुझे देकर
कसम खाकर यकीन दिला गया है,
अगली मुलाकात मुझसे करने के बाद
वो तुझे अपने साथ ले जाएगा 
तब मेरे जाने की फ़िक्र से भी
तब तू पक्का मुक्त हो जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921