कविता

करवा चौथ

अखण्ड सौभाग्य के लिएकरवा चौथ का निर्जल उपवासहमारी मां बहन बेटियों द्वारा किया जाता है,सोलह श्रृंगार से खुद को सजाकरचांद और पति को निहारमाता करवा की पूजा पाठ के साथइस व्रत का समापन हो जाता है,पति के हाथों जल पीकर व्रत को तोड़ा जाता हैइस व्रत में प्राकृतिक सामग्री का उपयोग औरप्रकृति से खुद को जोड़ा जाता है,पति के दीर्घायु होने से इसे जोड़ा जाता है।अच्छा भी लगता है जब हम अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं कोआगे बढ़ाते हुए बहुत खुश होते हैं,पर दुख भी होता है जब हमअपने ही पर्वों, परम्पराओं, त्योहारों कीमहज औपचारिकता निभाते हैं,उसकी भावनाओं को समझनेऔर गहराई में उतरने की बजायसिर्फ दुनिया को दिखाने को आतुर रहते हैं,तीज त्योहारों की रस्म अदायगी भर करते हैंसोशल मीडिया पर छा जाने की चाह मेंसिर्फ सजते संवरते, फोटो खिंचवाते, सेल्फी लेते हुए अपना प्रचार भर करते हैंतीज त्योहारों की आत्मा को कुचलते हुएखुद को किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं समझते हैं।अपनी अहमियत लाइक कमेंट से बताते हैंहर रिश्ते को सोशल मीडिया के सहारेमजबूत करते हुए खुद को दिखाते हैं,असल में हम खुद को भरमाते हैंआधुनिकता की अंधी दौड़ में आजकरवा चौथ की भी वैसे ही हम सबअब औपचारिकता भर ही निभाते हैं।

*सुधीर श्रीवास्तव

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