कविता

साकार हुआ धुआं मुक्त रसोई का सपना

जब से उज्जवला सिलेंडर हुआ है अपना 

धुआं मुक्त जीवन का पूरा हुआ सपना 

बीमारियों से मुक्त हुआ नपना 

साकार हुआ धुआं मुक्त रसोई का सपना 

चूल्हे की उड़ती राख को बंद हुआ चखना 

लकड़ी बचाकर पर्यावरण सुरक्षित होगा अपना 

जलवायु परिवर्तन के दुष्टपरिणामों से छूटेगा नपना 

साकार हुआ धुआं मुक्त रसोई का सपना 

काम की बचत हुई नहीं पड़ेगा झमेले में फंसना 

जीवन में आए बदलाव से पूरा होगा जीवन का सपना 

योजना से वास्तव में परिवर्तन हुआ बदलावकारी

सपना साकार हुआधुंआ मुक्त रसोई का सपना 

रसोई में व्यापक बदलावकर परिवार को किया अपना 

स्वाद के झगड़ों में अब नहीं पड़ेगा उलझना 

आसान भोजन तैयार होगा नहीं पड़ेगा थकना 

साकार हुआ धुआ मुक्त रसोई का सपना 

एक कमी रही सिलेंडर की कीमत से पड़ेगा नपना 

महंगाई में पैसे लगेंगे जेब ढीलीसे पड़ेगा नपना 

पैसे बिना बंद पड़ा है अभी सिलेंडर अपना 

फिर भी सरकार कहती है साकार हुआ सपना 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया