गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

किसी चेहरे में नज़र आता है उसका चेहरा

हम कभी भूल नहीं पाते फिर ऐसा चेहरा

छोड़ता ही नहीं ता उम्र हमारा पीछा

डबडबाया हुआ वो आंसुओं वाला चेहरा

हमने एक रोज़ उसे दिल से दुआएं दी थीं

वीडियो पर वो दिखाई दिया हँसता चेहरा

हो गए हम भी कुछ यूं ही दीवाने उसके

अपने चेहरे पे लगा रखा है उसका चेहरा

सबको लगता है कि हैं हम भीआशिक उसके

उसमें आता है नज़र हमको तो मां का चेहरा

— ओम निश्चल