मुक्तक/दोहा

दोहे—टुकड़े टुकड़े हो गये

टुकड़े  टुकड़े  हो  गये, बिखर  गया परिवार।

पहले जैसा अब कहां,  रहा  दिलों  में  प्यार।

टुकड़े  टुकड़े  हो  गये, अब  रिश्तों की  डोर।

रहा   नहीं   विश्वास  है,  सबके  मन में चोर।

टुकड़े   टुकड़े   हो  गये, जो होती  छत एक।

अपने  अपने   हो  गये, रही   न   कोई  टेक।

टुकड़े टुकड़े हो गये, मां  के   सपने    आज।

भाई  प्यासे  खून  के, भूल  गये  सब  लाज।

टुकड़े  टुकड़े  हो  गये, दिल के सब अरमान।

बेमौसम बरसात से , हुआ  बहुत   नुकसान।

करने  पीले    हाथ   हैं,  बेटी    हुई    जवान।

कर्जा सिर पर है चढ़ा, रोता   दुखी   किसान।

टुकड़े   टुकड़े   हो  गये, बढ़ी   बीच   तकरार।

बंट  गये  आंगन  तभी, खड़ी      हुई   दीवार।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995