फागुन आया मस्ती लाया
फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की।
आजा साजन होली खेलें, प्रेम रंग इजहार की।
मौसम है अलबेला साजन, भौंरों की गुंजार है।
मैं हूँ कली खिली यौवन की,अंग अंग गुलजार है।
मुझे अपना बना ले साजन, ले रंगों की आड़ में।
खो जाएं हम इक दूजे में, जाएं लोग पहाड़ में।
बहुत दिनों से तड़प रहे हैं,आज घड़ी इकरार की।
फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की।
फागुन मेरे मन को भाया, पीत रंग की शान में।
नाचो मेरे साजन प्यारे, आ गीतों की तान में।
बाँह में बाँहें, डाल नाचूँ, उड़ता रंग गुलाल रे।
पिया मेरे रंग बरसाये, चलूँ मोरनी चाल रे।
आ जा दोनों हम खो जाएं, मौज आई बहार की।
फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की।
फागुन मेरे दिल का राजा, तू साजन चितचोर रे।
मैं राधा तुम मेरे कान्हा, मैं पतंग तू डोर रे।
रंग संग तुम में खो जाऊँ, ले के तेरा नाम रे।
भेद नहीं कोई भी होगा, बन जाऊँ इक जान रे।
सो जाऊँ मैं खो जाऊँ मैं, बाँहों में नित यार की।
फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की।
— शिव सन्याल