गीत/नवगीत

फागुन आया मस्ती लाया

फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की। 

आजा साजन होली खेलें, प्रेम  रंग  इजहार  की।

मौसम है  अलबेला  साजन,  भौंरों की गुंजार है।

मैं हूँ कली खिली यौवन की,अंग अंग गुलजार है। 

मुझे अपना बना ले साजन, ले रंगों की आड़  में। 

खो  जाएं हम  इक दूजे  में, जाएं लोग  पहाड़ में।

बहुत दिनों से तड़प रहे हैं,आज घड़ी इकरार की।

फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की।

फागुन मेरे  मन को  भाया, पीत रंग की  शान में। 

नाचो  मेरे  साजन  प्यारे, आ  गीतों  की  तान में। 

बाँह में  बाँहें, डाल  नाचूँ, उड़ता  रंग  गुलाल   रे।

पिया  मेरे  रंग  बरसाये,  चलूँ    मोरनी   चाल  रे।

आ जा दोनों हम खो जाएं, मौज आई बहार की।

फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की। 

फागुन मेरे दिल का राजा, तू साजन चितचोर रे। 

मैं  राधा  तुम  मेरे  कान्हा, मैं  पतंग   तू  डोर रे।

रंग  संग तुम  में  खो  जाऊँ, ले  के  तेरा  नाम रे। 

भेद नहीं  कोई भी  होगा, बन जाऊँ इक जान रे।

सो  जाऊँ मैं  खो जाऊँ मैं, बाँहों में नित यार की।

फागुन आया मस्ती लाया, ऋतु आई है प्यार की। 

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. Sanyalshivraj@gmail.com M.no. 9418063995