लघुकथा

लघुकथा : बस ऐसे ही

पूर्वी ने अपनी पड़ोसन योगिता से पूछा- “गीतू की मम्मी ! सुबह तुम्हारे घर से चीखने-चिल्लाने की बहुत आवाज आ रही थी। क्या हुआ था बहन ?”

योगिता मुस्कुराती हुई बोली- “कुछ नहीं दीदी। बस ऐसे ही। गीतू के पापा की तो आदत ही है बात-बात पर बेवजह गुस्सा करने की। दरअसल सुबह से ही बहुत पी ली थी न। उनके लिए नाश्ते में पोहा बनाया था। नमक कुछ ज्यादा हो गया था।”

“पर मारने-पीटने की आवाज आ रही थी बहन ?” पूर्वी बोली।

“हाँ…, बस कुछ नहीं दीदी। उनकी तो आदत ही है न, मार ही देते हैं। बस चुपचाप रहती हूँ। मैं मुँह नहीं लगती। उन पर न कभी मुझे गुस्सा आता है, न हिं रोना। मुझे रोना-धोना कतई पसंद नहीं है दीदी।” योगिता के होठों पर अब भी मुस्कान थी; जबकि उसके घर का यह रोज का मसला था।

— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.