मुक्तक/दोहा

दोहे

बदल गया है आजकल, कविता का किरदार।

वह बस करती मंच पर,शब्दों का व्यापार।।

होता जिसके पास में, पैसा और रसूख।

समझ नहीं पाता कभी,वह निर्धन की भूख।।

धर्म ग्रंथ मन के लिए, होते जैविक खाद।

स्वस्थ विचारों को रखें,जीवन बने सुस्वाद।।

संबोधन, संवाद के,बदल गए प्रारूप।।

जिस घर पैर पसार कर,बैठी मिली शराब।

संबंधों से जब हटी,अपनेपन की धूप।

टूट गए परिवार के,सभी सुनहरे ख़्वाब।।

मान नियति को जो सदा,करते हैं संतोष।

उन्हें निकम्मा मानकर, दुनिया देती दोष।।

पहले बेच शराब जो,करवाते मधुपान।

वही चलाते बाद में,नशामुक्ति अभियान।।

पास नहीं जिनके रहा,खाने को दो जून।

पालन करते देश का, बस वे ही क़ानून।।

किया भरोसा सौंप दी,जब उसको दरगाह।

कुर्सी पाकर हो गया,ख़ादिम तानाशाह।।

कल तक जो थे घूमते,हरदम नंगे पैर।

सत्ता पाकर कर रहे, वायुयान में सैर।।

सज़ा नहीं देता उन्हें, कोई भी क़ानून।

झूठे वादों से करें, जो सपनों का खून।।

चौड़ी होकर जब सड़क,पहुँची अपने गाँव।

तरुवर सारे कट गए, राही ढूँढ़ें छाँव।।

— डाॅ. बिपिन पाण्डेय

डॉ. बिपिन पाण्डेय

जन्म तिथि: 31/08/1967 पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी) स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी) पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद) जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403 रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया (कुंडलिया संकलन), इक्कीसवीं सदी की कुंडलियाँ (कुंडलिया संकलन) मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद (कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन:जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ) साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग,भाग-2, समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ, राघव शतक, हिंदी ग़ज़ल के साक्षी, समकालीन कुंडलिया शतक, समकालीन दोहा शतक और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, कुंडलिनी रत्न सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान, आचार्य वामन सम्मान चलभाष : 9412956529