लघुकथा

लघुकथा – अधूरी ख्वाहिश

मम्मी….मम्मी….. सुनिए न! क्या हुआ मेरी गुड़िया? प्रातःकाल से इतना शोर क्यों मचा रही हो? मम्मी…..मिन्नी स्वरबद्ध होकर बोली और आ कर पीछे से लिपट गई। अच्छा बताओ क्या बात है? मिन्नी बोली– “मम्मी मेरे दिमाग में बहुत अच्छा आइडिया आया है, आज के लिए।” ओह! ऐसा आज कुछ खास दिन है क्या? मिन्नी अपनी आँखें बड़ी–बड़ी कर हैरान नज़रों से मम्मी को देखने लगी; तभी किचन में पापा जी भी आ गए और दोनों से पूछने लगे- “क्या बात है? मांँ–बेटी में क्या खुसुर–फुसुर हो रही है भई….!” पापा जी थोड़ा मजाकिया अंदाज में बोले। नहीं… नहीं…ऐसी कोई बात नहीं है पापाजी कह कर मिन्नी किचन से चली गई। पापा जी के ऑफिस जाने के बाद मिन्नी बोली– “क्या मम्मी आप भी न…” ऐसा बोलते ही शांत बैठ गई। ओहहो! ठीक है बाबा बताओ , क्या–क्या करना है? मिन्नी ने अपनी मम्मी को पूरी योजना बताई। मम्मी बहुत खुश हुई और बोली एक बिटिया ही तो होती है, अपने पापा के जीवन में हर छोटा–बड़ा सपना को साकार करने में लगी रहती है और बिल्कुल माँ जैसा ख्याल भी रखती है, भाव–विभोर हो मम्मी की आँखें भर आईं। 

                शाम होते ही पापा जी ऑफिस से घर लौटे, थोड़ी देर बाद मिन्नी पापा जी से बोली- “पापा जी चलिए न मेरे कमरे में;” क्यों?पापा जी बोले। ऐसे ही….कुछ दिखाना है आपको। अच्छा चलो;  मम्मी पापा और मिन्नी तीनों कमरे में गए। कमरे में बहुत अंधेरा था। बिटिया लाइट तो जलाओ।  धैर्य रखिए बाबा….।

इतनी भी क्या जल्दी है! मिन्नी पापा की लाडली जो थी। ओके बिटिया…। 

                    लाइट जलाते ही पापा जी विस्मित भाव से देखने लगे। सहसा फूलों की वर्षा होने लगी, छोटे–छोटे लाइट जुगनुओं की तरह चमकने लगे, नीचे धरती पर मखमली घास बिछी थी, कोयल के सुमधुर आवाज की तरह धीमे स्वर में गाना चल रहा था, एक प्यार का नगमा है…………! टी–टेबल में बहुत सारी मिठाईयाँ, फल–फूल, केक वगैरह…. वगैरह….। केक कट करते ही मिन्नी पापा जी को एक गिफ्ट पैकिंग आहिस्ता से खोलने के लिए बोली। पापा जी भी मुस्कुराते हुए आहिस्ता–आहिस्ता खोलने लगे। खोलते ही उनकी आँखें नम हो गईं और मिन्नी को गले से लगा लिया। पिता, बेटी को प्यार भरी नज़रों से देखने लगे। उन्होंने देखा  पापा की एक फेवरेट लैपटॉप उनके सामने रखी हुई है।जिसकी पापा जी को बरसों से अभिलाषा थी। बेटा ये लैपटॉप!! ना…ना…पापा जी कुछ न कहिए ये आपके बहुत काम की है, आप दिन–रात, जाग–जाग कर मोबाइल में ही अपनी कविताएं टाइप करते रहते हैं। सो….. मैंने और मम्मी ने सोचा क्यों न पापा जी को सरप्राइज दे दें।  पापा जी बोले– “आज मेरी बेटी इतनी बड़ी हो गई की पापा की ख्वाहिश पूरी कर रही है!” मिन्नी पापा को गले लगा कर जन्मदिवस की बधाई देती हुई, हैप्पी बर्थडे पापा…हैप्पी बर्थ डे माई डियर पापा जी…!

         तभी कानों में मम्मी की आवाज सुनाई देने लगी…….मिन्नी अरी ओ गुड़िया, उठो! बेटा भोर हो गई। कितनी देर तक सोयेगी, ये लड़की भी न, पता नहीं आज इसे क्या हो गया? मिन्नी की आँखें खुलीं, चहुँओर सन्नाटा छाया था। जो कुछ भी हुआ एक स्वप्न था। मिन्नी, मम्मी को गले लगाती हुई अपने पापा को याद कर सिसकियांँ भर–भर कर रोने लगी।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priyadewangan1997@gmail.com