कहानी

कहानी – खुशी के आँसू

 दिन महीने साल देखते -देखते बीत गए। नीलिमा ने ग्रैजुएशन की   पढ़ाई भी पूरी कर ली। मध्यम वर्गीय परिवार में ऊँच नीच,समाज संस्कार आदि के झमेले।बिटिया बीस साल की हो गई अब कर दो इसकी शादी।  पिछले तीन महीने से घर पर है नीलिमा। माता- पिता को अपनी शादी को लेकर  चिंतित देख असहज -सी महसूस करने लगी नीलिमा। आज नीलिमा कुछ ज्यादा ही चिंतित थी। पिताजी गए हुए हैं एक लड़के को देखने। इसके पहले भी तीन -चार लड़कों वालों से बातचीत चली थी लेकिन दहेज की मोटी माँग के कारण  संबंध  पक्का नहीं हो पाया।

 “क्या बात है नीलू! तुम बार- बार दरवाजा खोलकर क्यों खड़ी रहती हो”  नीलू की माँ ने पूछा. नीलू की आँखों में आँसू देख माँ से रहा नहीं गया। बेटी  को प्यार से   अंदर बिठाया और कहा, “बेटा मैं तुम्हारी मांँ हूँ,क्या बात है सच सच बता।”

 नीलिमा ने एक लंबी सांस ली और कहा,”माँ!बेटी इतनी भार-सी क्यों हो जाती है? आपलोग   घर के थोड़े बहुत जो जेवर हैं उसे बेचकर मेरी शादी कर देना चाहते हैं।”

“बेटा,अब तुम्हारी उम्र भी हो गई, पढ़ाई भी पूरी हो गई। बिना दहेज की शादी तो कोई करेगा भी नहीं।”

“मेरी इच्छा थी कि मैं भी अजय के समान अच्छी नौकरी की तैयारी करती।”

“यह अजय कौन है?”

“माँ, अजय मुझसे दो साल सीनियर रहा है कॉलेज में। आज उसका मैसेज आया है वह बैंक का पीओ बन गया है और पहली बार अपने दिल की बात कही है।”

“क्या ?” नीलिमा की आँखों में उत्सुकता थी।

” माँ! अजय मुझसे शादी करना चाहता है। मैं उसे पसंद हूँ।”

नीलू की बात से माँ अचंभित हो गई। “कैसा है वह लड़का ? तुमको पसंद है?”

“माँ! अपने बैच का टॉपर है अजय और मुझे पढ़ने में नोट्स आदि देकर खूब मदद की है।”

“तुमने पहले क्यों नहीं बताया?”

“कैसे कहती? अपने दिल की बात आज ही अजय ने बताई है।”

“ठीक है, तुम मेरी लाडली हो। तुम्हारे सुख- दुख, तुम्हारे भविष्य की जिम्मेवारी हमारी है। देखता हूँ आज क्या खबर लाते हैं तुम्हारे पिताजी।”

 दस्तक की आवाज सुन माँ ने  दरवाजा खोला,अपने पति के मुरझाए चेहरे को देख समझ गई कि  बात बनी नहीं है। मन ही मन भगवान  को प्रणाम किया। चाय पानी के बाद  माँ ने अजय और नीलिमा की इच्छा बताई।  सारी बातें सुनकर पिताजी ने कहा, “दोनों एक दूसरे को जानते हैं । एक दूसरे को पसंद भी है। लेकिन…

“लेकिन क्या?” नीलू की माँ ने टोका।

“लड़का अच्छी नौकरी में है। दहेज भी मोटा माँगेगा न?”

नीलिमा दूर से ही पिताजी की बातें सुन ली थी।वह सामने आई और मोबाइल पर अजय का मैसेज दिखा दिया,”अगर मैं तुम्हें पसंद हूँ और तुम्हारे माता -पिता को कोई आपत्ति न हो तो जवाब देना। मेरी माँ मेरी शादी के लिए अधीर है और मेरी पसंद पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। और हाँ, मुझे दहेज नहीं चाहिए।”

मैसेज पढ़ कर नीलू के पिताजी की आँखे मारे खुशी के भर आईं, उन्होंने बेटी को गले से लगाते हुए कहा, “मुझे भी कोई आपत्ति नही है, जब लड़का-लड़की राजी तो क्या करे पिताजी!” और कमरा ठहाकों से गूँज उठा।

— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड nirmalkumardey07@gmail.com