राजनीति

लोकसभा चुनावों में विपक्ष को झटके पर झटके  

लोकसभा चुनाव- 2024 में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग गठबंधन पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल अपनी रणनीति को ही अंतिम रूप नहीं दे पा रहे हैं। सभी विरोधी दलों में इतना अधिक  भ्रम पैदा हो गया है कि संपूर्ण भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और दक्षिण से लेकर पूर्वोत्तर तक सभी राज्यों में जिला स्तर तक पार्टियों के कद्दावर नेता व प्रवक्ता पार्टी छोड़ रहे हैं और अपनी ही पार्टी की असलियत उजागर कर रहे हैं। प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस की स्थिति तो इतनी अधिक दयनीय हो चुकी है कि उसके पास स्टार प्रचारक और समर्थ प्रत्याशी तक नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं। 

एक समय ऐसा था कि पूरा का पूरा  फिल्म जगत कांग्रेस के सामने नतमस्तक रहता था। कांग्रेस ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को हराने के लिए फिल्म स्टार राजेश खन्ना को चुनावी मैदान में उतार कर चुनावी लड़ाई को रोचक बना दिया था वहींअब एक समय कांग्रेस के सांसद रहे  फिल्म अभिनेता गोविंदा शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं और संभव  है शिवसेना उन्हें टिकट भी दे दे।

जम्मू कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद  कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण करने के लिए अयोध्या में दिव्य – भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिस प्रकार से बहिष्कार कर डाला है उसके बाद तो कांग्रेस के हालात और खराब हो गये हैं। कांग्रेस के ऐसे -ऐसे नेता पार्टी छोड़ रहे हैं जिन पर विष्वास ही नहीं किया जा सकता।  वहीं कुछ नेता ऐसे अभी भी हैं जो फिलहाल ता कांग्रेस में ही हैं किंतु अपने पत्रों के माध्यम से कांग्रेस के मुददो की हवा स्वयं ही निकाल रहे हैं और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।वर्तमान समय में कांग्रेस छोडने वाले नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी होती जा रही है जिसका असर राज्यसभा चुनावों में दिखा था और हिमांचल की सरकार गिरते -गिरते बाल बाल बची है।  

कांग्रेस को सबसे बड़ज्ञ आईना महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेसी नेता संजय निरूपम ने दिखाया है जबकि इसके पूर्व महाराष्ट्र के ही एक और दिग्गज नेता  अषोक चव्हाण  भाजपा में षामिल होकर राज्यसभा पहुंच गये हैं।महाराष्ट्र के ही युवा नेता मिलिंद देवड़ा और पूर्व गृहमंत्री षिवराज पाटिल की बहू अर्चना भी  भाजपा में षामिल हो गई हैं। महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में जिस प्रकार का तनाव बरकरार है उससे लग रहा है कि वहां के अभी कई और कददावर नेता भाजपा के नेतृतव वाले गठबंधन में षामिल होकर चौका सकते हैं। 

विगत दो दिनों मेंं कांग्रेस के  तीन बड़े नेताआेंं ने कांग्रेस को सदा के लिए अलविदा कहकर  पार्टी आलाकमान को चिंता में डाल दिया है किंतु वह इन सभी घटनाओं से बेंखबर है क्योकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे  और राहुल गांधी पाटी्र्र नेताओं व कार्यकर्ताओं को कत्ुता कहकर संबोधित कर चुके हैं।जब मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ी थी तब राहुल गांधी ने कहा था कि वह चाहते हैं कि मिलिंद जैसे नेता पार्टी छोडकर चले जाएं तो अच्छा होगा।

आज कांग्रेस के नेता जिस प्रकार से पार्टी छोड़ रहे हैं उसका सबसे बड़ा कारण कांग्रेस व इंडी गठबंधन का पूरी तरह से सनातन विरोधी हो जाना है। कांग्रेस के प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णन ने राम के नाम पर ही कांग्रेस छोड़ दी और फिर गुजरात व हिमांचल के कई विधायकों, नेताओें ने राम के नाम पर व सनातन विरोध नहीं कर पाने कारण कांग्रेस छोड़ दी। 

 कांग्रेस के  युवा तेज तर्रार नेता प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि जब मैं पार्टी में शामिल हुआ था तब की पार्टी और उनकी पार्टी में जमीन आसमान का का अंतर आ गया है। गौरव ने कहा कि वे अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने के कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से भी काफी नाराज थे। वो जन्म से हिंदू और शिक्षक हैं राम का अपमान नहीं सकते। उनका मानना है कि अब पार्टी दिषाहीन हो गयी है और वह दिन भर न तो सनातन को गाली दे सकते हैं और न ही वेल्थ क्रिएटर्स की निंदा कर सकते हैं। गौरव वल्लभ ने 2019 में पहली बार झारखंड से और फिर 2023 में राजस्थान से विधानसभा का चुनाव लड़ा था था और दोनां ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था।  गौरव को बहुत ही पढा लिखा व ज्ञानी व्यक्ति माना जाता रहा है। गौरव अर्थषास़्त्र के प्रोफेसर रहे हैं गौरव ने एक बार टीवी डिबेट भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा की बोलमी बअंद कर दी थी जब उन्हांंने पूछा था कि एक ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं तब वल्लभ ने ही उन्हें बताया था कि 12 होते हैं। 

 महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने तो कांग्रेस की पूरी पोल ही खोलकर रख दी है और कांग्रेस का कडुंवा सच बता दिया है। पूर्व कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा कि वर्तमन समय में कांगेसकी हालत बहुत अधिक खराब ह क्योकि कांग्रेस में कई सेंटर बन चुके हैं जिसमें ंश्रीमती सोनिया गांधी , प्रियंका गांधी ,राहुल गांधी  और फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का सेंटर बन चुका है। श्रीमती सोनिया गांधी केवल राहुल गांधी को ही आगे बढ़ाना चाह रही हैं और इस कारण वह किसी और की सुन नहीं पा रही हैं। आज कांग्रेस पार्टी में घोर निराशा का वातावरण है। कांग्रेस का कार्यकर्ता हताश है क्योंकि वह समझ नहीं पा रहा है कि वह अपनी बात किसके पास रखे। अब तो सोशल मीडिया में तो लोग यह भी कहने लग गये हैं कि आने वाले समय में कांग्रेस में केवल गांधी परिवार ही बचेगा। 

वर्तमान समय में कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा किसी की नहीं सुनी जा रही है वायनाड में राहुल गांधी जब पर्चा दाखिल कर रहे थे तब खरगे दिल्ली में थे और उन्हें कोई भाव नहीं दिया जा रहा था। संजय ने कहा कि राहुल और प्रियंका की लॉबी के चलते कई अच्छे नेताओं का सत्यानाष हो गया है।पंजाब में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण यही गुटबाजी रही। कांग्रेस छोड़ रहे नेेताओं का मत है कि कांग्रेस का नेतृत्व मेहनत नहीं करना चाहता है।आज की कांग्रेस जनता व कार्यकर्ता दोनों से काफी दूर जा चुकी है। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी विचारधारा के मामले में भी पूरी तरह से कफ्यूज हो गयी है। 

इन दिनां जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी या कांग्रेस से निकाले गये उसमें संजय निरूपम , युवा बॉक्सर विजेंदर, गौरव वल्लभ तो हैं हीं बिहार कांग्रेस के अनिल षर्मा सहित कई कांग्रेसी नेता भाजपा में लगातार षामिल हो रहे हैं। आम लोगां का मत है कि आज की कांग्रेस इतनी अधिक सनातन विरोधी  हो गयी है कि अब ऐसे कांग्रेसी जिनके मन में भगवान राम ,काषी और मथुरा के प्रति जरा सा भी श्रद्धाभाव होगा वह कांग्रेस में कतई नहीं रहेगा और अपने आपको कांग्रेसी कहलाना पसंद नहीं करेगा।अभी जब पांच राज्यां के विधानसभा चुनाव चल रहे थे उस समय  तब तमिलनाडु के नेता  लगतार सनातन का उन्मूलन करने जैसे विकृत व नफरत भरे बयान दे रहे थे और कांग्रेस की ओर से एक बार भी निंदा नहीं की गयी जिसका असर मध्य प्रदेष, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में साफ दिखलाई पड़ा और कांग्रेस साफ हो गयी। 

अभी कुछ दिनों पूर्व ही कांग्रेस नेता आनंद शर्मा  ने भी कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखकर चेतावनी जारी कर दी थी कि जातिगत जनगणना का मुद्दा कांग्रेस पार्टी को बहुत अधिक नुकसान कर रहा है।   उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि किस प्रकार से  स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी जातिगत जनगणना के पक्षधर नहीं थे वही एक समय पार्टी का नारा था जाति पर न पात पर मोहर लगेगी केवल हाथ पर । अब वही कांग्रेस सनातन को गाली दे रही है शिवलिंग को फव्वारा बता रही है और हर जगह जातिगत जनगणना की बात कह रही है। इससे सिद्ध हो रहा है कि आज की कांग्रेस पूरी तरह से कंफ्यूज हो गयी है और उसके नेता दल को छोडने के लिए मजबूर हो रहे हैं।   

— मृत्युंजय दीक्षित