राजनीति

लोकतंत्र में मतदाताओं की भूमिका

कहते हैं कि “लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था अंतर्गत मतदाता देश के भाग्य का निर्धारण कर्ता होता है।” मतदाता के मत की शक्ति का आंकलन तब अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है, जब किसी प्रत्याशी को एक-एक मत की प्राप्ति या अप्राप्ति के कारण जीत या हार का सामना करना पड़ता है। इसलिए कहा जा सकता है कि देश का मतदाता देश की किस्मत को सुधार या बिगाड़ सकता है, क्योंकि वह अपने मत के प्रभाव से किसी योग्य व्यक्ति या देश के प्रति सच्चे मन से समर्पित राजनीतिक पार्टी को जीत दिला कर देश को विकास की धारा में अग्रसर कर सकता है या किसी अयोग्य प्रत्याशी या स्वार्थपरक राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टी को जीत दिलाकर देश के विकास के पहिये को रूकवा सकता है। इसीलिए कहते कि- “जागरुक मतदाता ही राष्ट्र का भाग्य विधाता” होता है। लोकतंत्र के महापर्व पर अपेक्षा की जाती है कि- “प्रजातांत्रिक राष्ट्र की समृद्धि हेतु महादान। देश का हर नागरिक अवश्य करे मतदान।”

देश का प्रत्येक मतदाता  लोकतंत्र को बनाये रखने हेतु उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना किसी प्राणी को जीने के लिए अन्न की। वर्तमान में भी इन्हीं सब विचारों को ध्यान में रखकर मतदाता को देश व समाज के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए अपने मत का उचित प्रयोग करना होगा। अतीत के अनुभवों से स्पष्ट है कि मतदाता ने जब-जब भी गंभीरतापूर्वक सोच विचार के पश्चात् निर्वाचन में अपने मत का प्रयोग किया, तो निश्चित ही एक ऐसा राजनीतिक दल देश की सत्ता में सत्ताशीन हुआ, जिसने देश के अंदर विकास की गंगा प्रवाहित तो की ही, साथ ही देश को विश्व के नक्शे में अत्यंत महत्वपूर्ण व सम्मानजनक स्थान भी दिलाया। इसके विपरीत जब-जब मतदाता ने अपने व्यक्तिगत क्षणिक स्वार्थ के वश होकर मत का प्रयोग किया, तो उसका खामियाजा देश-प्रदेश को कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों के रूप में दृष्टिगत हुए।

अतः मतदाताओं से इस लेख के माध्यम से अपील करने के साथ-साथ अपेक्षा करता हूँ कि वे अपने मत का आगामी लोकसभा चुनाव में अवश्य प्रयोग करें, क्योंकि यह लोकतंत्र का महापर्व है, जिसमें हरेक मतदाता की वही अहमियत है, जो सैकड़ों, लाखों, करोड़ों तथा अरबों मतदाताओं की होती है। आपका एक मत लोकतंत्र के इस महायज्ञ में लोकतंत्र की सफलता के लिए दी गई महान् आहुति होगी।

इसलिए अवश्य मत का प्रयोग की जाय, लेकिन यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि कौन योग्य प्रत्याशी है अथवा कौन सी ऐसी राजनीतिक पार्टी है, जो सच्चे मन से देश को सुरक्षित, सुदृढ़ तथा समृद्धशाली बनाकर विकास की धारा को आगे बढ़ाने का काम कर सकती है। यह आंकलन देश व समाज हित में परम आवश्यक है। यही देश के नागरिकों की देश के प्रति सच्ची निष्ठा भी मानी जायेगी। 

— शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल spbsnehill@gmail.com