गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बिन हुए नाम हमारा क्या है
रंग या दाम हमारा क्या है

बज़्म या बाॅर कहाँ हम होंगे
हो गई शाम हमारा क्या है

बाँटना प्यार लुटाना ख़ुशियाँ
और फिर काम हमारा क्या है

जो करे इश्क़ चढ़ाओ सूली
और ईनाम हमारा क्या है

लोग ये लोक बताते अपना
फिर बता राम हमारा क्या है

नेक आग़ाज़ किया था हमने
और अंज़ाम हमारा क्या है

खोलते आँख कि देखें साक़ी
भर गया जाम हमारा क्या है

— केशव शरण

केशव शरण

वाराणसी 9415295137

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