कविता

करवाचौथ

चाँद तुम्हें मेरी कसम,
तुम जल्दी से आ जाना,
मैं दिन भर अपने साजन की लंबी उम्र के लिए,
भूखी-प्यासी रह जाना।

तुम जिस पल आकाश में मुस्कुराते हो,
मैं सोलह श्रृंगार कर,
मन से तुमको रिझाती हूं,
हर पल साथ तुम्हारा हो,
यही प्रार्थना दोहराती हूं।

हर जन्म में हो साथ तेरा,
यही मन का अरमान है,
चाँद में तेरा दीदार करने को,
सुबह से मेरा इंतज़ार है।

ए चाँद! तुम जल्दी से आना,
चलनी से सजना का दीदार करूं,
मेरा संसार बस तुझसे है,
पूजा की थाली सजाकर बैठी हूं,
हाथों में मेंहंदी रचाकर,
कर रही हूं तेरा इंतज़ार —
आ जाओ जल्दी से तुम…

— गरिमा लखनवी

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384