कविता

यह जीवन

कैसे रहूँ खुश ऐसे जीवन में
जिसने दिये हैं
हमे केवल जुदाई के क्षण
दर्द और आंसू का नाम है यह जीवन
न मैंने कुछ पाया
न तुमने कुछ पाया
अपने सामाजिक रिश्तों  के लिए
बस मरते रहने का नाम है जीवन
सोचा था अब आयगा मजा जीने का
अपनी सच्ची जीवन साथी के साथ
पर एक दूसरे के लिए
तड़पने और तरसने का नाम है यह जीवन
कैसे खुश रहूँ
उन पलों को याद करके
जो एक इतिहास बन चुके
कैसे खुश रहूँ
उन होंठों की छुवन का अहसास करके
जो बीते पलों की
सिर्फ एक छाप बन चुके
सोचा था जीवन का एक छोटा सा हिस्सा
बिताया करूँगा अपनी जान के साथ
मगर  उस पल को घुट घुट कर मरते हुए
देखने का नाम बन चूका यह जीवन
मेरी जान को पाना तो दूर
देखने तो तरस जाती हैं यह आँखे
इसी तरह एक दिन
बंद हो जाएँगी यह आँखे
बस उस पल के
इंतज़ार का नाम है यह जीवन
पल पल जीते हुए भी
मरने का नाम है यह जीवन

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]