स्वास्थ्य

साइनस की चिकित्सा

साइनस बहुत परेशान करने वाला रोग है। इसमें नाक का एक या दोनों तरफ का माँस बढ जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को साँस लेने में भी दिक़्क़त होती है। ऐलोपैथिक डाक्टर इसको ‘नाक की हड्डी बढना’ कहते हैं और अपने धंधे के लिए उसका आपरेशन कर डालते हैं। परंतु उससे अस्थायी राहत ही मिलती है और कुछ समय बाद माँस फिर बढ़ जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सा में रबर नेती या सूत्र नेती इसका स्थायी समाधान है। उसके साथ कुछ सहायक क्रियायें और परहेज़ भी करने पड़ते हैं। ऐसा करने से एक-दो माह में इस समस्या से स्थायी मुक्ति मिल जाती है। यहाँ मैं पूरा कार्यक्रम दे रहा हूँ-

१. प्रात: ६ बजे उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और आधा नींबू का रस मिलाकर पियें। फिर ५ मिनट बाद शौच जायें।

२. शौच के बाद गुनगुने पानी से रबर नेती करें। २-२ मिनट से शुरू करके ५-५ मिनट तक दोनों तरफ से नाक में। (किसी योग केन्द्र में जाकर नेती करना सीख लें।)

३. नेती के बाद आधा घंटा टहलें या हल्का व्यायाम करें और किसी पार्क में बैठकर निम्न लिखित क्रियायें करें-
— भस्त्रिका प्राणायाम ३ चक्र से प्रारम्भ करके हर दिन एक चक्र बढ़ाते हुए २१ चक्र तक करें।
— कपालभाति प्राणायाम ५० बार से प्रारम्भ करके हर दिन ५० बढ़ाते हुए ३०० तक पहुँचें।
— अनुलोम-विलोम प्राणायाम ३ चक्र से प्रारम्भ करके हर दिन एक चक्र बढ़ाते हुए ११ चक्र तक पहुँचें।
— भ्रामरी ३ बार से ५ बार तक।
— ॐकार ध्वनि ३ बार

४. ठंडे पानी और ठंडी चीज़ों से बचें। हमेशा सादा पानी पियें। दिन भर में तीन चार लीटर जल अवश्य पियें।

५. हमेशा नाक से साँस लें। भूलकर भी मुँह से साँस न लें। इसके अभ्यास के लिए मुँह में थोड़ा पानी भरकर १० मिनट तक रोककर रखें।

६. कम से कम दो महीने के लिए दूध और उससे बनी सभी वस्तुओं का सेवन बंद कर दें। चाय भी नहीं।

७. शाम को भी रबर नेती करें। उसके बाद ५ चक्र भस्त्रिका करें।

८. रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।

९. नाक को हमेशा सामान्य तरीके से साफ़ करें। ज्यादा ज़ोर से नहीं।
१०. भोजन शुद्ध सात्विक रखें। उसमें सलाद अवश्य हो। खूब चबाचबाकर खायें। े

नेती के अलावा ये सारी क्रियायें मेरी ‘स्वास्थ्य रहस्य’ पुस्तिका में बतायी गयी हैं। अगर आपके पास यह पुस्तिका न हो, तो मुझे [email protected] पर ईमेल करके मँगा लें।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

5 thoughts on “साइनस की चिकित्सा

  • Man Mohan Kumar Arya

    अत्यंत सराहनीय।

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार, मान्यवर !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई , लेख अच्छा लगा .यह रबर नेती होती किया है ?कृपा बताने की चेष्टा करें .

    • विजय कुमार सिंघल

      भाई साहब, रबर नेती एक रबर की पतली सी नली होती है जिसका एक सिरा बंद होता है। यह सर्जीकल स्टोरों पर कैथेटर के नाम से मिल जाती है। इसको नाक में किसी एक छेद से डाला जाता है और मुँह से निकाला जाता है। फिर दोनों सिरे पकड़ कर आगे पीछे चलाया जाता है। इसी को नेती करना कहते हैं। इससे शरीर में जमा हुआ कफ बहुत आसानी से निकल जाता है।

      • Man Mohan Kumar Arya

        धन्यवाद। यह भी महत्वपूर्ण जानकारी है।

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