रंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा
रंग लगाने के बहाने पड़ोसन का हाथ जो पकड़ा
बीबी का फिर यारो गाल पर पड़ा मुक्का तगड़ा
हाल न पूछो करते रहे सिकाई फिर पंचमी तक
दर्द छिपाते रहे सबसे खतरनाक सूजा था जबड़ा
भूल छोटी थी या बड़ी कुछ समझ ना पाए हम
इतना याद है रंग लगा के जमीन पर था रगड़ा
यह करतूत इतनी भारी पड़ेगी नही था हमें पता
आये दिन फिर पीटती लपककर, कर के झगड़ा
कांपते अब तो हाथ रंग को छूने का सोच कर
महीने भर डर के बुखार ने हमें तो रखा जकड़ा
“दिनेश “
हा हा हा हा हा बढ़िया होली गीत !
हा हा हा , बहुत खूब .