कविता

नव वर्ष का पर्व

समय के पंख लगा,

एक और वर्ष क्षितिज में समाया है,

और हम कर रहे समीक्षा,

हमने क्या खोया क्या पाया है,

समय की कसौटी पर वही मानव खरा है,

जिसके जीवन में धर्म की जय हो,

जिसके जीवन में कर्म की विजय हो,

जिसका जीवन हर पल सुखमय हो,

जिसकी वाणी हरदम मधुमय हो,

जिसका मन अजय,अजर और अभय हो,

जिसका जीवन सदाचारी हो ,

जिसका जीवन परोपकारी हो,

यही समय सनातन है,

यही नवीन है, यही पुरातन है,

मानव के लिए समय अमूल्य है,

समय का सदुपयोग बहुमूल्य है,

 

मानव वही जिसका जीवन उपलब्धियों से खिला हो,

मानव वही जिसका जीवन संस्कारों में पला हो,

आओ अहसास करे, समय रहते विकास करें,

प्रगितिशील सभ्य समाज में जीने का उल्ल्हास करें,

पल पल दौड़ता समय कभी हाथ न आएगा,

समय की गति अनवरत है, यह आगे बड़ जायेगा ,

संयम यही है की समय के साथ साथ चलें ,

और नव वर्ष में नवीन अभिलाषा की आस करें.

सर उठा कर जियें,और सत्य मार्ग पर चलें

सच्चे प्यार की ज्योति ,हर दिल में जले ,

–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845