कविता

कविता : व्यंग है श्राद्ध

कौवों को दान दिए श्रद्धा से आ आ किये

क्यों कि उसके कांव कांव को मनहूस मानते रहे ,

मुंडेर पे बैठा नहीं कि चल हट भाग हुड़के

गाय प्यारी क्यों है मरखा न हो

गाय जैसी बहु खोजते रहे

दमन करना आसान मिले

घर में जकड़ ना सके तो

गली गली भटकने छोड़ ही सके

कौआ गाय नदियां क्यों चाहिए श्राद्ध के लिए

 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ