भजन/भावगीत

माँ सरस्वती वन्दना

मेरी लेखनी का जादू संसार पर चला दो।
अनुपम अमित अलौकिक साहित्य से मिला दो।।
छन्दों के दोष सारे माँ छार छार कर दो,
सब लोग गुनगुनाये हमको निहाल कर दो।।

~ दोहे~

वीणा वादिनि शारदे ,हंस वाहिनी अम्ब।
माल स्फटिक हाथ में ,माँ तुम्हरो आलम्ब।

कर में पुस्तक धारिणी, शुभ्र् स्वरूप तुम्हार
नीरज कविताकार कार को ,देना अविरल प्यार।

नाम बढे संसार में ,यश भी मिले अपार।
शब्द शब्द ऐसे गढ़े शब्द शब्द में सार।।

उपवन में अगणित सुमन ,जैसे कविताकार।
माँ नीरज की वन्दना कर लीजै स्वीकार।।

 

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950