कविता

कविता- अपनापन!

कुछ तेरे मेरे तो रिश्ते है,
कुछ अपनेपन की बातें है,
कुछ दर्द समय की ,पीड़ा है,
कुछ अपनों की दी ,राते है !!

हम भूल गये थे ,जीवन मे,
कि जीवन संयम की बातें है,
जो छूट गये वो भी अपने है,
जिनकी कष्टो से ,नाते है !!

हम चकाचौंध की दुनिया मे,
कुछ देशी खूशबू भूल गये,
जब पीछे मुड़कर देखा तो,
छूटी लाखों की बातें है !!

हम संस्कार को बोनेवाले,
परदेशी नकल कर बदल गये,
हम छोड़ जिन्दगी देवो की,
अब परदेशी के गुण गाते है!!

आवो मिलकर फिर भारत मे,
विजयी विश्व तिरंगा लाते है,
अपने उच्च देवो के भारत को,
फिर सोने की चिड़िया बनाते है!!

— हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से