कविता

बापू अगर जिंदा होते तो . . . . . .

निगरानी के हत्थे चढ़कर

नेता और अफसर जाते

बापू अगर जिंदा होते तो

ये देखकर मर जाते

सपना देखा था बापू ने

अपना भारत हो सुंदर

नेता अफसर जन सेवा को

चौबीस घंटे हों तत्पर

काम करें कर्मठता से सब

सबका एक सम्मान बने

सत्य ईमान की हो पूजा

और भारत देश महान बने

पर बापू का सुंदर सपना

तोडा़ इन भ्रष्टाचारियों ने

कुछ गंदे नेताओं ने और

चंद भ्रष्ट अधिकारियों ने

नेताजी घोटाला करते

और अफसर जी रिश्वत लेते

आम आदमी थक गय है

कदम कदम पर देते देते

बापू के सोने की चिडि़या

अपने पथ से भटक गई

रिश्वत की खातिर न जाने

कितनों की नौकरी अटक गई

हालात बड़े संगीन हुए

कोई ऐसे वैसे न थे

उनके पास में मेधा थी

पर जेब में पैसे न थे

उन मेधावी बच्चों के

जब सपने चकनाचूर हुए

तब हारकर रिश्वत के हाथों

वे दिहाडी़ मजदूर हुए

ये नौजवान अब मजदूरी को

सऊदी और कतर जाते

बापू अगर जिंदा होते तो

ये देखकर मर जाते

 

विक्रम कुमार

विक्रम कुमार

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