गज़ल
किसी शोख के इशारा ए पैहम की तरह आ
इस बार तू बहार के मौसम की तरह आ
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हो जाऊँ थोड़ा और ताज़ा दम भीग कर
चुपके से दिल के फूल पर शबनम की तरह आ
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बह जाऊँ किसी तिनके की मानिंद जिसमें मैं
तू इश्क़ के इक ऐसे तलातुम की तरह आ
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हम बाहें फैलाए तुम्हें तैयार मिलेंगे
दुश्मन की तरह आ तू या हमदम की तरह आ
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नाकाबिल-ए-बर्दाश्त हो चला है दर्द अब
आ, दिल के सारे ज़ख्मों के मरहम की तरह आ
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।