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वासंती काव्य संध्या में बिखरे काव्य के अद्भुत रंग

दिल्ली/हल्दौर। देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था हिंदी की गूंज और काव्य वृष्टि पटल के संयुक्त तत्वाधान में ऑनलाइन आयोजित वासंती काव्य संध्या में कविगणों ने वासंती रंगों से सराबोर रचनाएं प्रस्तुत कर समा बांध दिया।  रविवार की शाम आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में ऋतुराज वसंत का स्वागत करते हुए अपने सुरीले कंठ से गीत सुनाते हुए कवयित्री अर्चना पांडे ने कहा कि-
आया है ऋतुओं का राजा वसंत।
ना है विराम कहीं ना है हलंत।।
डॉ वर्षा सिंह मुंबई ने प्रेमावर्षा करते हैं हुए दोहे प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि-
 प्रेम कृष्ण राधा अमर, छिपी रुकमणी प्रीत।
युगो-युगो से कर रहा विरह मिलन पर जीत।।
वहीं हिंदी की गूंज संस्था के संयोजक एवं वरिष्ठ शिक्षाविद कवि नरेंद्र सिंह नीहार ने वसंत का मनमोहक चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहा-
हौले-हौले चल रही, लेकर मादक गंध।
हवा बसंती भर रही, सांसों में मकरंद।।
हिंदी की गूंज की सशक्त हस्ताक्षर तरूणा पुंडीर ने अपनी रचना में कहा कि-
मन मेरा प्रीत के गीत गाने लगा।
कृष्ण राधा को जैसे लुभाने लगा।।
 देहरादून की वादियों से जुड़ी डाॅ. लक्ष्मी भट्ट ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा-
 वसंती बहारों में हम सफर बन कर के तुम आना।
कलिका जो मैं बन जाऊं भ्रमर बन के तुम आना।।
डॉक्टर वर्षा महेश गरिमा ने शानदार गीत प्रस्तुत करते हुए कहा –
पतंग सा उड़ता है जीवन।
डोर बन आओ तुम साजन।
प्रसिद्ध कहानीकार एवम् कवयित्री रोचिका अरुण शर्मा ने कहा-
 गुंचे मुस्काये हैं, चहक उठी चौखट,
  हम देहरी सजाये हैं।
 कार्यक्रम का सरस और रंगारंग संचालन कर रहे भाई खेमेंद्र सिंह चंद्रावत राजस्थानी ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए तन्हाई का हृदयस्पर्शी वर्णन करते हुए कहा कि-
 खाली-खाली दिन ये तन्हाई।
 ऐसे में तुन्हारी याद आई।। ….
डॉ. विनोद चौहान प्रसून ने दिल में बस जाने वाली आवाज़ में अपना दर्द यूं बया किया –
पतझड़ जैसे दिन थे लेकिन पल-पल ज्यों मधुमास हुआ। मोनिका शर्मा ने प्रियतम को पुकारते हुए कहा कि –
तुम मुझे जान लो मैं तुम्हें जान लूं।
तुम मेरा नाम लो मैं तेरा नाम लूं।
श्रृंगार की कवयित्री रजनी श्रीवास्तव ने खूब वाहवाही लूटी –
 तन वसंती हुआ मन वसंती हुआ ।
 आज धरती का कण-कण वसंती हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अशोक अंजुम ने  कहा कि-
जाये इस पार से उस पार से खुशबू आये,
प्यार की सारे ही संसार से खुशबू आये,
पैरहन आपने महका तो लिए इत्रों से-
बात तो तब है कि किरदार से खुशबू आये।
उन्होंने सभी कवियों के काव्यपाठ की सराहना करते हुए कहा कि मानव होना भाग्य की बात है और कवि होना सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि कविता सिर्फ एक कविता नहीं है वरन् कविता संस्कार देती है और जीवन को संवार देती है।  उन्होंने आयोजित उक्त कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की।  ऑनलाइन पटल से जुड़े श्रोताओं में निर्मला जोशी, उर्मिला रौतेला, डाॅ. पूर्णिमा उमेश, डॉ. संजय सिंह, लता नौवाल, बलराम निगम, राकेश जाखेटिया, सुरेश कौशिक, तापस अग्रवाल आदि ने अपने संदेशों से कवि गणों का हौसला बढ़ाया।

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।