जीवदया
1] जीवदया
गर्मी से बेहाल, पशु-पक्षी देखो सारे।
प्यासे घूमते ढोर, न ठौर, न पालनहारे।।
मिलती छांव न ठाँव, ढूंढते चारा-पानी।
जीवदया हो भाव, धर्म कर्म जिंदगानी।।
2] माँ
परमात्मा का रूप, परम प्रभु-सी अनुरागी।
मखमल-सी मृदु धूप, धरा-सी माता त्यागी।।
प्रकृति सी दातार, नेह स्निग्धा लहराती।
ममतामयी दुलार, जगत जननी कहलाती।।