सामाजिक

जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं

वैश्विक स्तरपर खुशियों या सकारात्मक परिस्थितियों में तो हर व्यक्ति जीवन जीनें को आतुर रहता है, परंतु सृष्टि का यह नियम है कि हमेशा ऐसा नहीं होता, जीवन का चक्र घूमते रहता है। यदि आज सकारात्मक परिस्थितियां हैं तो कल नकारात्मक परिस्थितियां भी आनी ही है! जिससे हमें मुकाबला कर आगे बढ़ना है और स्थितियों पर परिस्थितियों से निपट कर सफलता के झंडे गाड़कर इतिहास रचना है। जो ख़ुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रखते हैं। क्योंकि जब हम निर्भीकता से विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे त्योहिं विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से विभिन्न विचारों को समाहित करते हुए चर्चा करेंगे,आओपरिस्थितियों से लड़ कर इतिहास रचें।
हम मानवीय जीवन में परीक्षा की घड़ी को देखें तो अनुकूल परिस्थितियों में तो सभी सटीकता से जीवन यापन करने और अपने आप को सुदृढ़ और सुलझा हुआ कहने लगते हैं परंतु असली व्यक्तित्व और सटीकता का पता तो तब चलता है जब विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिरता के से मुकाबला कर उन्हें अनुकूल बनाकर इतिहास रचते हैं। असल में हमें विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत रखना और जिंदगी में जो भी परिस्थितियां हो उसका डटकर सामना करना हमारी जिंदगी में जो भी समस्या हो उन समस्याओं का हल निकालना और उन समस्याओं का हल निकालते और लड़ते-लड़ते मर जाना बेहतर है। किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए विकट परिस्थितियों में जूजते रहेंगे तो हमारी समस्याओं का हल अपने आप निकलता रहेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए समस्याओं का निराकरण भी लाएंगे और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी बनेंगे जो लोग समस्याओं से लड़ते हैं और उसका हल निकालते हैं और डरते नहीं है, वही लोग महान हैं।
हम सटीक कहावत मानव परिस्थितियों का दास होता है और उस दास शब्द को अस्वीकार करने को देखें तो, मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए हमें सर्वप्रथम उन वजहों को समझने का प्रयास करना चाहिए जिनके चलतेये परिस्थितियाँ पैदा हुईंहैं।परिस्थितियों पर बारिकी से नजर रखते हुए सब्रके साथ परिस्थितियों का सामना करने का प्रयास करना चाहिए,जो परिस्थितियाँ हमारे बस में ना हों उनके लिए अधिक चिंतित हम ना हों । वे समय के साथ खुद ब खुद सामान्य हो जाएँगी। हर हालत में धैर्यवान बने रहकर ईश्वर अल्लाह (समय) पर भरोसा करना चाहिए।समय से बलवान कोई नहीं।चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति हो समय बीतने के साथ-साथ मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों को बदलकर सामान्य होते देर नहीं लगतीं।कितना भी गहन अंधकार वाली रात्रि हो कुछ पलों में सूर्योदय अवश्यंभावी है।
वह नियति हो या फिर परिस्थिति कोई फर्क नहीं पड़ता और जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं। जिस तरह से हम अच्छे वक्त को संभालना बचपन से जानते हैं, उसी तरीके से हमें बुरे वक्त को भी संभालना सीखना चाहिए किस तरीकेसे हम इनको संभाले कि यहपरिस्थितियां कभी भी हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिति ना क्रिएट करें की हम टूट कर बिखर जाएं यदि टूट कर बिखर भी जाएं तो स्वयं को जोड़कर पुनःखड़ा होने की हिम्मत अपने अंदर रखनी चाहिए। जीवन में जीवन से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होता परंतु अक्सर देखा जाता है कि इंसान छोटी-छोटी बातों को लेकर के भी आत्महत्या कर लेता है या फिर कोई ऐसा कदम उठा लेता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते इन्हीं सब से निपटने के लिए हमें स्वयं को मानसिक रूप से सबल बनाना होता है।
हम विपरीत परिस्थितियों को हावी ना होने देने को देखें तो, जब भी हम अपने जीवन में कमजोर होते हैं, चाहे वह कमजोरी शारीरिक होआर्थिक हो या मानसिक हो,उस वक्त हमारा मन दुर्बल होता है तथा हम परिस्थितियों से संघर्ष करने में कमजोर होते हैं। अतः ऐसी स्थिति में हमारे ऊपरपरिस्थितियों को हम हावी होने देते हैं यदि हम चाहते हैं कि हमारे ऊपर परिस्थितियां हावी ना हो तो हमको अपने आप को मानसिक रूप से बहुत सफल बनाए रखना होगा। जिंदगी में कहीं बार ऐसे पड़ाव, वक्त आता हैं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं समझ में ही नहीं आता,उस परिस्थितियों में हमको सब्र रखना हैं, खुद से बातें करना हैं, खुद को एकांत में लाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यहीं वह समय हैं जब हम खुद कों समझ सकते हैं, हमारे अंदर रहा सामर्थ्य को पहचान सकते हैं, हमारी क्षमता को समझ सकते हैं,औेऱ जरूरी हैं सकारात्मक बने रहना। प्रतिकूल परिस्थितियों में अगर हमारा अपने दिल और दिमाग पर काबू है तो हमको किसी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो सबसे पहले हमको स्ट्रांग रखने के लिए अपने दिल और दिमाग को अपने काबू में रखना पड़ेगा अगर वह काबू में आ गए तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर पाएंगे।
हम खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदलकर इतिहास रचने को देखें तो, हमें ऐसे व्यक्ति बननां है जो परिस्थितियों के अनुसार खुद नही बल्कि खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदल डाले इसलिए पुनःप्रयास करें और तब तक करते रहें जब तक हम उस परिस्थिति को बदल न दे। हमें अपनी परिस्थिति को सुधारने का भरसक प्रयत्न करना और उसके मार्ग में आने वाले संकटों का धैर्यपूर्वक मुकाबला करना चाहिए ,पर यदि प्रयत्नों के बावजूद हमारी आकाँक्षा और इच्छाओं के अनुसार हमारी परिस्थिति में किसी अज्ञात कारणवश शीघ्र वाँछित परिवर्तन या सुधार नहीं होता है, तो हमें घबराकर प्रयत्नों को नहीं छोड़ देना चाहिए बल्कि दुगने उत्साह के साथ हमें अपने उद्देश्य-प्राप्ति में जुटे रहना चाहिए। ऐसे समय में हमें अपने आत्म मित्र एवं हितचिंतकों से इस विषय में परामर्श और मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए संभव है उनकी सूझबूझ और सहायता से हमारे संकट का निवारण हो जाए। समस्या को हम अपने परिवार के सदस्यों के सन्मुख उपस्थित कर उनकी सलाह भी ले सकते है। इस प्रकार हमें कहीं न कहीं से ऐसे प्रेरक विचार मिल जायेंगे, जिनके द्वारा हम अपनी परिस्थितियों को बदल सकेंगे।
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया