कविता

मूरख से जनतंत्र लाचार

प्रजातंत्र की है अब पुकार
जनतंत्र में लाना है  सुधार
मूर्ख से     हैं हम शर्मसार
हो रहा देश का    बंटाधार

वोट पाने की खुली है  दुकान
फीकी पक रही है जहाँ पकवान
लुट खसोट की सज गई मचान
कैसे बने हमारा देश       महान

कैसे विकास हम जनता   पायें
कहाँ से संस्कारी राजनेता लायें
राजनेता की हो रही है  अकाल
कौन सुधारेगा हिन्द की हाल

परिवारवाद की चली है     बयार
अपराधीकरण  का हो गई शिकार
बंद हो गई विकास की       दरबार
जन जन सह रही है अब अत्याचार

आओ साथियों हम प्रण अपनायें
जनतंत्र की वंशज को आगे बढ़ायें
भाई भतीजावाद से मुक्ति   पायें
एक नई हिन्दुस्तान आज बनायें

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088