रामराज्य और आधुनिक शासन-
आजकल चौराहों पर
रामराज्य की चर्चा करते हुए
दो-चार लोगों का मिलना
स्वाभाविक है।
जनसभा की बैठक में
सत्ताधारी पूछता है कि
हमारी शासन-व्यवस्था
कैसी लग रही है आपको!
इन्हीं दो-चार लोगों के साथ
अनगिनत आवाज़ें
एक साथ निकलती है—
रामराज्य की तरह।
मैं पूछता हूँ कि
क्या रामराज्य में मनुष्य
भूखा, नंगा और अनिकेत था?
जैसे कई प्रश्न,
जिसका उत्तर सिर्फ़
नहीं होगा।
यथार्थतः किसी ने भी
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के
सुराज्य को नहीं देखा है।
यही कारण है कि लोग
आधुनिक शासन-व्यवस्था की तुलना
रामराज्य से करते हैं।
आधुनिक शासन-व्यवस्था,
रामराज्य की कल्पना करने वाले
‘बापू’ के विचारों से भी
कोसों दूर है।
न-जाने कैसे लोग हैं,
जो आधुनिक शासन-व्यवस्था की तुलना
रामराज्य से करते हैं।
— महेन्द्र मद्धेशिया